हाईकोर्ट से नेता प्रतिपक्ष के मान्यता खत्म करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज !
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म किए जाने के खिलाफ दायर...
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म किए जाने के खिलाफ दायर सपा एमएलसी की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने पहले नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे शुक्रवार को सुनाया।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने सपा के नेता प्रतिपक्ष रहे लाल बिहारी यादव की याचिका पर दिए फैसले में कहा कि याची को नेता प्रतिपक्ष पद से हटाने के 7 जुलाई के आदेश (अधिसूचना) में सांविधानिक प्रावधानों का उल्लंघन या कमी नहीं लगती है। कोर्ट ने याचिका को मेरिट विहीन करार देकर खारिज कर दिया।
कानून की मंशा के खिलाफ
याची के वकील कृष्ण कन्हैया पाल का कहना था कि कानूनी तौर पर लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष पद से नहीं हटाया जा सकता। लेकिन विधानसभा ने सदस्य संख्या 10 से कम होने का हवाला देकर नेता विरोधी दल की मान्यता समाप्त कर दी थी। जो कानून की मंशा के खिलाफ है।
लाल बिहारी यादव का कहना था कि वह 2020 से विधान परिषद के निर्वाचित सदस्य हैं और उन्हें इस वर्ष 27 मई को सदन में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई थी। लाल बिहारी यादव ने विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता वापस लेने वाली अधिसूचना को रद्द किए जाने या उस पर रोक लगाए जाने का आग्रह किया है।
लाल बिहारी यादव ने पेश किया अपना प्रतिउत्तर
विधान परिषद के सभापति व प्रमुख सचिव की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया था। जिसपर लाल बिहारी यादव ने प्रति उत्तर पेश किया। बीती 7 जुलाई को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के प्रमुख सचिव कार्यालय ने लाल बिहारी यादव की मान्यता रद्द करने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। याचिका में विधान परिषद के चेयरमैन व प्रमुख सचिव को पक्षकार बनाया गया था।
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