क्या सपा के गढ़ खिलने वाला है कमल ?

इसकी आधिकारिक घोषणा अभी भले न हुई हो लेकिन अगर यूपी की सियासत में एक पत्ता भी हिलता है तो दूर तक सुनाई देता है

सपा मुखिया अखिलेश यादव और आजम खान के अपनी संसदीय सीट से इस्तीफ़ा देने के बाद आजमगढ़ और रामपुर की लोकसभा सीट खाली हुई। जिसके बाद अब 23 जून को दोनों सीटों पर मतदान ( Election ) होने है। जिसको लेकर सपा बसपा और सत्ता दल बीजेपी में जमकर उठापटक होने की उम्मीद है।

यूपी की सियासत में एक पत्ता भी हिलता……

वहीं यूपी की सियासी गलियों में हलचल है की उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी पूर्व संसद डिंपल यादव आजमगढ़ से उप चुनाव लड़ने जा रही है। इसकी आधिकारिक घोषणा अभी भले न हुई हो लेकिन अगर यूपी की सियासत में एक पत्ता भी हिलता है तो दूर तक सुनाई देता है। जैसे ही ये खबर बाहर आई की डिंपल यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़ेंगी सियासी बयान बाजी भी शुरू हो गयी है। और सूबे के डिप्टी सीएम ने कह दिया है की इस बार आजमगढ़ में कमल खिलने वाला है।

सत्ता दल बीजेपी के बीच काटें की टक्कर

पहले समझते है आजमगढ़ सीट का सियासी समीकरण आजमगढ़ सीट का सियासी समीकरण कुछ इस कदर है की बसपा,सपा और सत्ता दल बीजेपी के बीच काटें की टक्कर देखने मिलेगी। सियासी गणित और इतिहास को देखते हुए बसपा ने इस बार आजमगढ़ में गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है।

बीएसपी ने आजम खान को वॉक ओवर दे दिया

एक प्रकार से बीएसपी का ये कदम सही है क्योंकि आजमगढ़ सीट का इतिहास रहा है की पिछले हर चुनाव में या तो यादव या मुस्लिम उम्मीदवार ही यहाँ से जीत कर निकला है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है की दूसरी लोकसभा सीट रामपुर से बसपी न कोई भी कैंडिडेट नहीं उतारा है। जिसका ये साफ़ मतलब है की बीएसपी ने आजम खान को वॉक ओवर दे दिया है।

अखिलेश यादव के सामने निरहुआ

वहीं बात बीजेपी की करें तो दोनों ही सीटों अभी अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है। लेकिन चर्चाओं के बाजार में भोजपुरी फिल्मों के स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को आजमगढ़ सीट से चुनाव लडाने की चर्चा हो रही है। आपको बता दें की लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के सामने निरहुआ पिछली बार चुनाब लड़ चुके है।

चुनावी मैदान में खुद अखिलेश यादव की पत्नी उतर रही

उम्मीद से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन भी कर चुके है। और अगर इस बार निरहुआ मैदान में उतरे तो लड़ाई बेहद दिलचस्प हो जाएगी। क्योंकि सपा की ओर से चुनावी मैदान में खुद अखिलेश यादव की पत्नी उतर रही है। ये न सिर्फ डिंपल यादव के लिए एक बड़ा चैलेंज होगा।

बीजेपी और बीएसपी दोनों को ही मात दे जाए

बल्कि अखिलेश यादव के सियासी कौशल की परीक्षा भी साबित होगी। अखिलेश यादव खुद पिछली बार इस सीट से चुनाव लड़े और जीते भी थे। लेकिन इस बार चुनौती अलग और ज्यादा कठिन है। देखने वाली बात ये होगी की क्या अखिलेश की रणनीति उस लिहाजे की होगी की बीजेपी और बीएसपी दोनों को ही मात दे जाए।

 

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