Green Expressway: देश में 2024 तक बनेंगे 26 ग्रीन एक्सप्रेस-वे, आधे से काम समय में तय की जा सकेगी दूरी !
सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया की 2024 खत्म होने से पहले देश में 26 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बनाए जाएंगे। इन पर 125-130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर पूरा होगा।
सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया की 2024 खत्म होने से पहले देश में 26 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बनाए जाएंगे। इन पर 125-130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर पूरा होगा। उन्होंने दावा किया कि 2024 खत्म होने तक देश का रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर अमेरिका की टक्कर का होगा। ग्रीन एक्सप्रेस की मदद से आधे से भी कम समय मे लंबे सफर को तय किया जा सकेगा।
NHAI के पास फंड की कमी नहीं !
नितिन गडकरी ने कहा, ‘इस समय नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत है। मैं सदन में ऑन-रिकॉर्ड यह बात कह रहा हूं कि मैं हर साल पांच लाख करोड़ रुपए की सड़क बना सकता हूं। हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है। संसद में किसी भी पार्टी के सांसद से पूछिए, जिसने भी मुझसे सड़क बनवाने के लिए पैसा मांगा है, मैंने उसे पैसा दिया किया है। मैंने किसी पार्टी के सांसद को मना नहीं किया।’
टोले जमा करने के बताये दो सिस्टम !
गडकरी ने कहा कि ‘NHAI को AAA रेटिंग मिली है। हाल ही में दो बैंकों के चेयरमैन मेरे पास आए और उन दोनों ने मुझे 25-25 हजार करोड़ रुपए लोन देने का प्रस्ताव रखा। मुझे सिर्फ 6.45% की ब्याज दर पर यह पैसा मिला है। इसलिए NHAI के पास सड़कें बनवाने के लिए भरपूर पैसा है।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘फिलहाल टोल जमा करने के लिए हमारे पास एक सिस्टम मौजूद है, लेकिन हम दो विकल्पों पर काम कर रहे हैं। पहला है सैटलाइट आधारित टोल-सिस्टम जिसमें कार में GPS लगा होगा और उसमें से खुद ही टोल कट जाएगा। और दूसरा है नंबर प्लेट में बदलाव करना।
2019 से ही हमने नए तरीके की नंबर प्लेट बनाने की तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया है। अब मैन्युफैक्चरर के लिए यह नंबर-प्लेट लगाना अनिवार्य होगा। पुरानी नंबर-प्लेट्स को नई नंबर प्लेट्स से बदला जाएगा। नई नंबर-प्लेट से एक सॉफ्टवेयर जुड़ा होगा, जिससे टोल खुद ही कट जायेगा।’
कार की सभी सीटों पर होंगे एयरबैग !
नितिन गडकरी ने लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार पीछे के यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कारों में एयरबैग की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है ताकि पीछे बैठे यात्रियों की जान भी बचाई जा सके। उन्होंने आगे बताया कि इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और केंद्र जल्द ही इस पर फैसला करेगा।
आपको बात दें कि ग्रीन एक्सप्रेसवे वो एक्सप्रेसवे होते हैं जो हरे-भरे इलाकों से निकाले जाते हैं। इन्हें ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के नाम से भी जाना जाता है। इनके माध्यम से आबादी वाले इलाकों से बचा जा सकता है, साथ ही उन पिछड़े इलाकों के लोगों के लिए ऐसा एक्सप्रेसवे नए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा।