शोध परियोजना के लिए LU को 5 करोड़ की वित्तीय सहायता !
लखनऊ विश्वविद्यालय को इंटरडिसिप्लिनरी लाइफ साइंस प्रोग्राम फॉर एडवांस रिसर्च एंड एजुकेशन" के लिए मिली है ये राशि
लखनऊ विश्वविद्यालय को जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डी.बी. टी.), भारत सरकार, नई दिल्ली के द्वारा 5 वर्षीय डीबीटी- यूनिवर्सिटी इंटरडिसिप्लिनरी लाइफ साइंस डिपार्टमेंट फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च ( Research ) कार्यक्रम के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय को “डीबीटी-बिल्डर यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ इंटरडिसिप्लिनरी लाइफ साइंस प्रोग्राम फॉर एडवांस रिसर्च एंड एजुकेशन” शोध परियोजना के लिए 5.0 करोड़ की वित्तीय सहायता की स्वीकृत प्रदान की गई।
शैक्षणिक उन्नयन एवं शोध विकसित करना
इस परियोजना प्रमुख उद्देश्य मॉलिक्युलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स, एनवायरमेंटल साइंस तथा फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री में परास्नातक विषयों के शैक्षणिक उन्नयन एवं शोध विकसित करना है। इस परियोजना में तीन अंतर-विषय वैज्ञानिक समूह हैं – आण्विक एवं मानव आनुवंशिकी है। पर्यावरण और सतत कृषि जैव प्रौद्योगिकी तथा प्राकृतिक उत्पाद एवं स्टेरॉयडल केमिस्ट्री।
पादप जैव प्रौद्योगिकी और औषधि विकास में विशेषज्ञता शामिल
प्रस्ताव देश के प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा समीक्षा की गई और जिसमें प्रस्ताव प्रभावशाली रहा तथा परियोजना समन्वयक सहित अन्य प्रमुखों की योग्यता एवं शोध के अनुभवों से टास्क फोर्स समिति को संतुष्ट करने के पश्चात् कल प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गयी है। स्वीकृत प्रस्ताव में मानव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य में योगदान के लिए आणविक आनुवंशिकी, पादप जैव प्रौद्योगिकी और औषधि विकास में विशेषज्ञता शामिल है।
निर्माण की पहचान करने का प्रयास
प्रस्तावित अध्ययन में, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड्स, स्टेरॉयड और हेट्रोसायक्लिक डेरिवेटिव्स का उपयोग करके ट्यूमर चरण-विशिष्ट आनुवंशिक और एपिजेनेटिक हस्ताक्षर, संश्लेषण और एंटीकैंसर नैनो-दवाओं के निर्माण की पहचान करने का प्रयास किया जाएगा।
जैव प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण लागू किया जाएगा
इन नैनो-दवाओं का सर्वाइकल कैंसर सेल लाइनों पर कैंसर विरोधी गतिविधियों के लिए परीक्षण किया जाएगा और आनुवंशिक और एपिजेनेटिक विनियमन पर उनके प्रभाव का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके अलावा, जैविक रूप से संश्लेषित नैनोकणों और बैक्टीरिया को बढ़ावा देने वाले पौधों की वृद्धि को मिलाकर स्थायी कृषि सुधारों के लिए जैव प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण लागू किया जाएगा।