अलीगढ़ : बाबा के ढाबा के बाद प्रसिद्ध हुई ” दो बहनों की भेलपुरी “
जिस उम्र में बच्चे अपने पीठ पर बैग टांग स्कूल में पढ़ने के लिए जाते व उस उम्र में जिम्मेदारीयौं का बोझ उठाने को मजबूर है ये दो बहनें
चंद दिनों पहले जहां बाबा के ढाबा की वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई थी। जिसके बाद बाबा के ढाबा को एक नई पहचान मिली थी। वहीं अब अलीगढ़ में दो बहनों ( sisters ) की भेलपुरी भी पूरे तरीके से प्रसिद्ध होती नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई |
नए-नए सपने
तस्वीरों के बाद दोनों बहनों की भेलपुरी को लेकर पूरा समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है। जिस उम्र में बच्चे अपने पीठ पर बैग टांग स्कूल में पढ़ने के लिए जाते और अपने भविष्य के बारे में योजनाएं बनाते हैं। नए-नए सपने बुनते हैं ओर फिर लक्ष्य तय करते हैं। फिर उसी दिशा में आगे बढ़ना शुरू करते हैं।
नियति ने क्रूर खेला
लेकिन अलीगढ़ के थाना गांधीपार्क बस अड्डे के पास 12 से 11 साल की दो मासूम बहनों सहित उसके परिवार पर नियति ने ऐसा क्रूर खेला है। दोनों बहने इस उम्र में अपने सपनों को तिलाजंलि देकर परिवार की जिम्मेदारी निभा रही है। दोनों बहने अपने जज्बे और हौंसले के बूते न केवल चारपाई पर बीमार पड़े पिता की भेलपुरी की ठेली हाथों में लेकर उसकी कमान संभाल रही है।
भारी भरकम जिम्मेदारियों को भी अपने कंधों पर डाल …….
बल्कि उनके द्वारा लिये गये भारी भरकम जिम्मेदारियों को भी अपने कंधों पर डाल कर पूरा करने में जुटी हुई है।पिछले 3 साल से दोनों बहने गांधीपार्क बस अड्डे के पास ही भेलपुरी के ठेले लगाते हुए आ रहे हैं। शाम 4:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक दोनों बहनें मिलकर भेलपुरी बेचते हैं।
भेलपुरी बेचने के बाद आमदनी कम मिल पाती
भेलपुरी बेचने से जो अमंदनी होती है। उस आमदनी से लागत तो निकल आती है। लेकिन भेलपुरी बेचने के बाद दोनों बहनों को आमदनी कम मिल पाती हैं।