आखिर क्रिप्टो और शेयर बाजार में क्यों दर्ज हो रही है भारी गिरावट …

भारत और भूटान नाममात्र के लिए इनसे थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं और लगभग 77-78 रुपए में एक डॉलर यहां खरीदा जा सकता है...

भारत और उसके आसपास के देशों में इस वक्त बड़े पैमाने पर आर्थिक तबाही का आलम है। श्रीलंका के रुपए की तो इस समय लंका ही लगी पड़ी है और वहां लगभग पौने चार सौ रुपए में एक डॉलर ही जुट पाएगा। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया भी 200 के करीब पहुंच चुका है।

नेपाल में एक डॉलर की कीमत सवा सौ रुपया के आसपास है। अफगानी मुद्रा की बात की जाए तो वहां एक डॉलर खरीदने के लिए 90 अफगानी की जरूरत पड़ेगी। बांग्लादेश में डॉलर के मुकाबले टका भी लगभग 90 पर ही है।

फैली आर्थिक तबाही;

भारत और भूटान नाममात्र के लिए इनसे थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं और लगभग 77-78 रुपए में एक डॉलर यहां खरीदा जा सकता है इसलिए ये दोनों देश भी भारतीय उपमहाद्वीप में फैली आर्थिक तबाही का ही हिस्सा माने जा सकते हैं।

दरअसल, रूस और यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है, जिसके चलते दोनों गुटों के बीच एक दूसरे खेमे के देशों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की जंग भी चल रही है। इसी का नतीजा है कि दुनियाभर के शेयर बाजार, crypto और अन्य सेक्टर्स में भयंकर गिरावट और नुकसान देखने को मिल रहा है।

हालांकि खुद रूस, यूरोपीय देश और अमेरिका भी आर्थिक डिजास्टर के दौर से गुजर रहे हैं लेकिन उनका इरादा पहले की तरह तमाम अन्य कमजोर देशों के आर्थिक संसाधन हथिया कर अपने अपने देशों में सुख – समृद्धि की जल्द से जल्द वापसी का है।

गंभीर आर्थिक संकट:

असली दिक्कत तो भारत और उसके आसपास या ऐसे ही तमाम अन्य विकासशील देशों को है, जिन्हें इस गंभीर आर्थिक संकट से जूझने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा।

इससे पहले 2008 में जब दुनिया इसी तरह के आर्थिक हालातों से जूझ रही थी तो मनमोहन सिंह जैसे कुशल अर्थशास्त्री ने भारत की जनता को इस संकट के आने का आभास तक नहीं होने दिया था।

इस बार मोदी सरकार में हालात उसी दौर की तरह भयावह होते दिख रहे हैं और इस सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए यही मानना ठीक होगा कि सिवाय अधिक से अधिक टैक्स वसूली के लक्ष्य को पाने की धमाचौकड़ी मचाने के अलावा यह सरकार ऐसे विषम हालात से निपट पाएगी, इसमें पूरा संदेह है।

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