CWG2022: वर्ल्ड चैम्पियन निकहत की माँ को डर था, अगर बेटी बॉक्सर बनी तो कौन करेगा उससे शादी !

बर्मिघम में हुए Commonwealth Games के बाद निकहत जरीन आज पूरी दुनिया भर में एक मिसाल बन चुकी हैं, भारत के एक मुस्लिम परिवार की लड़की का वर्ल्ड चैम्पियन बनना अपने में एक मिसाल कायम करने का दम रखता हैं।

बर्मिघम में हुए Commonwealth Games के बाद निकहत जरीन आज पूरी दुनिया भर में एक मिसाल बन चुकी हैं,भारत के एक मुस्लिम परिवार की लड़की का वर्ल्ड चैम्पियन बनना अपने में एक मिसाल कायम करने का दम रखता हैं आपको बता दे हैदराबाद से करीब   200 किलोमीटर दूर तेलंगाना के एक शहर निजामाबाद की रहने वाली हैं। निखत के चाचा शमशामुद्दीन ने ही उन्हें बॉक्सिंग की दुनिया से परिचित कराया। शमशामुद्दीन एक बॉक्सिंग कोच हैं। निखत का बॉक्सिंग करियर तभी से शुरू हो गया था जब वह 13 साल की थी।

कितना मिला परिवार का साथ

निकहत जरीन अपने बॉक्सिंग से हुनर आज जहां पूरी दुनिया जहां राज कर रही हैं वहीं उनके करियर की शुरुआत में उन्हें जहां अपने पिता का भरपूर साथ मिला था वहीं दूसरी तरफ उनकी माँ बिलकुल भी खुश नहीं थी। निजामाबाद, तेलंगाना के एक विचित्र मोहल्ले से दुनिया के शीर्ष तक की उनकी यात्रा बाधाओं से भरी थी। लेकिन उसने इतिहास में अपना नाम दर्ज करने के लिए सच में बहुत मेहनत की। आपको बता दे निकहत की माँ को इस बात का दर सताने लगा था कि निकहत से कौन शादी करेगा अगर वो अपना करियर बॉक्सिंग को चुनती हैं तो।

कैसा रहा निकहत का फॅमिली बैकग्राउंड

14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में जन्मीं निकहत जरीन का पालन-पोषण एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में उनके पिता मोहम्मद जमील अहमद और मां परवीन सुल्ताना ने किया था। घर में तीन और बहनों के साथ, निकहत शरारती थी निकहत ने मीडिया से बातचीत म शेयर किया कि एक बार जब वह स्टेडियम में थी , तो बॉक्सिंग के अलावा हर खेल में लड़कियां भाग ले रही थीं।तब उन्होंने अपने पिता से पूछा कि लड़कियां मुक्केबाजी में प्रतिस्पर्धा क्यों नहीं कर रही हैं। ‘बॉक्सिंग बस लड़के ही करते हैं क्या? तब निकहत के पिता ने जवाब में ना कहा लेकिन साथ में उन्हें पिता बोले कि लोग अक्सर यह उम्मीद करते हैं कि लड़कियां घर पर रहने और घर का काम करने के लिए होती है।

दोस्तों का मिला साथ

शुरुआती वर्षों में, निकहत के लिए पढ़ाई और मुक्केबाजी टूर्नामेंट सा एक साथ सम्भलना थोड़ा मुश्किल हो रहा था पर निकहत को अपने दोस्तों का भरपूर साथ मिला। निकहत को उनके बोर्ड एग्जाम के समय उनके दोस्तों ने बहुत हेल्प की जिसके बाद परीक्षा पास करते ही निकहत अपना पूरा ध्यान अपने बॉक्सिंग करियर पर दे पाई।

निकहत का करियर का ठहराव

हर एथिलीट के लिए उसके करियर का सबसे बड़ी रुकावट खेल के दौरान लगी छोटे बन जाती हैं निकहत ज़रीन, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत से ही काफी आकर्षक दौड़ लगाई थी पर निकट को अपने जीवन का झटका तब लगा। जब उन्होंने अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में अपने दाहिने कंधे पर चोट के कारण सर्जरी की सिफारिश की गई। किसी भी एथलीट के लिए सर्जरी उनके करियर को बना या बिगाड़ सकती है। निकहत महज बीस साल की थी जब उसके कंधे की सर्जरी हुई थी। वह एक साल के लिए एक्शन से बाहर थी। उसके लिए कभी भी खेलने में सक्षम नहीं होने के बारे में सभी नकारात्मक टिप्पणियों को सुनना उसके लिए बहुत मुश्किल था। लेकिन उन्हें अपनी उम्र के लिए अनुकरणीय भावना रखनी चाहिए और अधिक लचीलेपन के साथ अंधेरे दौर से बाहर आना चाहिए। और हां, अब वह और भी तेज चमक रही है।

 

निकहत से जुड़े कुछ अनसुनी बाते

निकहत जरीन को निजामाबाद, तेलंगाना का ऑफिसियल अम्बस्सड नियुक्त किया गया था।
2010 में, निकहत ने चेन्नई में आयोजित जूनियर नेशनल में ‘सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज’ का पुरस्कार जीता।

कितने पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं निकहत

निकहत ज़रीन ने 2010 में 14 साल की उम्र में इरोड में राष्ट्रीय सब-जूनियर मीट में स्वर्ण पदक जीतकर, बॉक्सिंग की दुनिया में अपने आगमन की घोषणा की। उसके बाद वर्ष 2011 में, निखत ने तुर्की में आयोजित एआईबीए महिला जूनियर और यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में फ्लाईवेट में स्वर्ण पदक जीता। साथ ही निकहत ने 2014 में यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया साथ ही उसी वर्ष उन्होंने नेशंस कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में 51 किलोग्राम भार वर्ग में रूसी पाल्टसेवा एकातेरिना को हराकर स्वर्ण पदक जीता।

साल 2014 निकहत ने असम में आयोजित 16वीं सीनियर वुमन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अपने पदक तालिका में एक और स्वर्ण पदक जोड़ा।2015 में जालंधर में आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में, निकहत ज़रीन ने ‘सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज’ का पुरस्कार जीता। उन्होंने फाइनल में पूरी तरह से अपना दबदबा बनाया और 51 किग्रा वर्ग में अपनी प्रतिद्वंद्वी रितु को 3-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। उसी के साथ इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेल 2022 में निकहत जरीन ने फाइनल में आयरलैंड की कार्ली मैकनौल को हराकर अपना पहला  स्वर्ण जीता।

 

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