# यूपी राजनीति : क्या ऐसे मिलेगा सम्मान का ” मौर्य ” ?

ओबीसी वोट वर्ग को दोनों ही भारतीय जनता पार्टी व समाजवादी पार्टी आगामी 2024 के चुनाव में नाराज नहीं करना चाहेंगी

यूपी 2022 का चुनाव केशव प्रसाद मौर्या व स्वामी प्रसाद मौर्या के भविष्य की राजनीति के लिए कई मायनों में अहम रहा है। दोनों ही अपनी पार्टी से कद्दावर नेता है। इस बात को दोनों ही नेताओं ने अपनी पार्टियों को ओबीसी का वोट दिलवाकर ये साबित भी किया है। एक उपमुख्यमंत्री तो दूसरा मंत्री रहा है। लेकिन इसबार दोनों ही अपनी विधानसभा चुनाव ( election ) हार गए है। ऐसे में अब इन बड़े नेताओं को भाजपा व सपा आखिर कौन सी जिम्मेदारी सौंपेगी ये रोचक रहेगा।

केशव को मिल सकता है इस मंत्रालय का ” प्रसाद “

2014 में फूलपुर से सांसद का चुनाव जीतकर राजनीति में अपनी सफलता की शुरुवात करने वाले केशव इस बार सिराथू से हार गए। ऐसे में पांच साल डिप्टी सीएम रहे केशव को फिर से डिप्टी सीएम बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे है। तो वहीं सूत्रों के अनुसार इस बार बीजेपी हारे विधायकों,मंत्रियों को MLC नहीं बनाएगी। उनकी जगह अन्य कार्यकर्ताओं को अवसर देगी। ऐसे में क्या केशव प्रसाद को फिर से भाजपा पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष घोषित करेगी या कोई और बड़ी जिम्मेदारी सौंपेगी ?

सपा का ” स्वामी ” साथ

2007 से लगातार विधायक रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की जीत का सिलसिला जरूर इस बार टूटा है। लेकिन समाजवादी पार्टी में शामिल स्वामी को उनकी पार्टी दूसरा मौका दे सकती है। कयास लगाए जा रहे है कि आजमगढ़ के सांसद व करहल से चुनाव जीते अखिलेश यादव उन्हें एक मौका और दे सकते है। अखिलेश उन्हें करहल से अपनी सीट से चुनाव लड़वा सकते है।

किस तरह से अपने जनाधार को बढ़ाते है

अब आने वालों दिनों में दो पहलू बड़े दिलचस्प होंगे। पहला भारतीय जनता पार्टी अपने भावी नेता को क्या जिम्मेदारी सौंपता है ? और दूसरा समाजवादी पार्टी अब स्वामी प्रसाद को किस तरह से अपने जनाधार को बढ़ाते है ?

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