बंगाल भारत से अलग नहीं है, जब केरल स्टोरी पूरे देश में चल रही है तो बंगाल में बैन क्यों ? – SC
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के नापाक मंसूबों को उजागर करने वाली फिल्म 'द केरल स्टोरी' पर प्रतिबंध के खिलाफ...

आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के नापाक मंसूबों को उजागर करने वाली फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल देश के अन्य हिस्सों से अलग है. अगर नहीं तो वहां फिल्म को बैन क्यों किया गया है.
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने पूछा कि चूंकि फिल्म समान जनसंख्या अनुपात वाले राज्यों में चल रही है, तो पश्चिम बंगाल ने इस पर प्रतिबंध क्यों लगाया है? इन तीखी टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगते हुए अगली सुनवाई की तारीख बुधवार (11 मई) तय की।
‘द केरला स्टोरी’
बता दें, ‘द केरला स्टोरी’ मई को रिलीज हुई थी। फिल्म को बाद में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, जबकि तमिलनाडु में थिएटर मालिकों ने भी स्क्रीनिंग बंद कर दी थी। इस बैन के खिलाफ फिल्म प्रोड्यूसर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई में तेजी लाने के लिए सनशाइन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि निर्माताओं को हर दिन नुकसान हो रहा है।
सीएम ममता बनर्जी ने इस फिल्म को प्रोपेगंडा बताते हुए इसे बैन करने का ऐलान किया था। हालांकि गौर करने वाली बात यह भी है कि जहां ममता बनर्जी इस फिल्म को मनगढ़ंत बता रही हैं। केरल के दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व डीजीपी ने खुद राज्य में लव जिहाद, धर्मांतरण और आतंकवाद की बात स्वीकार की है।
केरल में जिहाद को लेकर क्या हैं पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयान :-
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंद और ओमन चांडी (कांग्रेस) ने केरल में लव जिहाद और लड़कियों के धर्मांतरण की बात को खुलकर स्वीकार किया है। 2010 में केरल के तत्कालीन सीएम वीएस अच्युतानंदन ने केरल में कट्टरपंथी इस्लामी धारा पीएफआई को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि- पीएफआई पैसे और शादी (लव जिहाद) का इस्तेमाल कर अगले 20 साल में ‘केरल’ को इस्लामिक स्टेट बना देगा। उन्होंने साफ कहा था कि कट्टरपंथी युवाओं का धर्मांतरण कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए मुस्लिम युवकों को पैसे भी दिए जा रहे हैं और उन्हें गैर-मुस्लिम लड़कियों से शादी करने के लिए भी कहा जा रहा है।
उनकी योजना अगले 20 वर्षों में केरल को मुस्लिम राज्य बनाने की है। इसके लिए वे युवाओं को झांसा दे रहे हैं। उन्हें पैसे ऑफर कर रहे हैं। मुस्लिम आबादी बढ़ाने के लिए उन्हें हिंदू लड़कियों से शादी करने के लिए जोर देना। इस तरह वे अपना बहुमत बढ़ा रहे हैं। ये तरकीबें काम कर रही हैं!
केरल कांग्रेस के एक और पूर्व सीएम ओमन चांडी ने 25 जून 2012 को विधानसभा के पटल पर एक आंकड़ा रखा था. उन्होंने बताया था कि 2006 से 2012 के बीच 2500 से ज्यादा गैर-मुस्लिम लड़कियों को जबरन इस्लाम कुबूल कराया गया. वहीं, साल 2017 में केरल के पूर्व डीजीपी टीपी सेनकुमार ने भी माना था कि केरल में ‘लव जिहाद’ एक क्रूर हकीकत है, जिसे नकारा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा था कि कई लड़कियां इसकी शिकार बनीं और क्रूर मानसिकता वाले आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में शामिल हो गईं, हालांकि उन्होंने सही आंकड़ा नहीं बताया। यहां तक कि केरल का सीरो मालाबार चर्च भी पिछले कई सालों से ईसाई लड़कियों के धर्म परिवर्तन को लेकर लव जिहाद का मुद्दा उठाता रहा है। इन बयानों को देखकर ऐसा लगता है कि केरल में कई लड़कियों का धर्मांतरण हुआ है और उनमें से कई को आतंकवादी बनने के लिए दूसरे देशों में भेजा गया है।
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