उत्तराखंड: क्या हो सकती है जोशीमठ के क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत ?

उत्तराखंड जोशीमठ में हो रहे भूमि धंसाव के कि तस्वीरों ने सभी के मन में दर सा पैदा कर दिया है ,इसी बीच उत्तराखंड सरकार ने वहां के पीड़ित निवासियों को

उत्तराखंड जोशीमठ में हो रहे भूमि धंसाव के कि तस्वीरों ने सभी के मन में दर सा पैदा कर दिया है ,इसी बीच उत्तराखंड सरकार ने वहां के पीड़ित निवासियों को मदद और मुआवजे का आश्वासन दिया है, बता दें जोशीमठ की जमीन धसने कि वजह से वहां के अब तक 700 से ज्यादा घरों की पहचान क्षतिग्रस्त के रूप में की जा चुकी है। उसी बीच सबके मन में यह सवाल भी आ रहा है कि क्या वहां हो रहे विध्वंस को रोक चीजों कि मरम्मत करने कि गुंजाइश है क्या ?

क्योंकि मरम्मत की कोई गुंजाइश नहीं है

बता दें पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा ने कहा कि शहर को एनटीपीसी के इंजीनियरों द्वारा लाया गया है क्योंकि मरम्मत की कोई गुंजाइश नहीं है और कोई रिवर्स गियर नहीं है। झा ने एक ट्वीट में कहा कि “जोशीमठ आपदा एनटीपीसी के इंजीनियरों द्वारा अपनी टनल-बोरिंग मशीनों द्वारा, जोशीमठ के नीचे टनलिंग के माध्यम से जलभृतों में छेद करने का परिणाम है, घरों और जमीन से रिसता हुआ गंदा पानी जलभृत उल्लंघनों के लिए इंजीनियर्ड क्राइम का प्रमाण है।”

 क्या है जोशीमठ का हाल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ का दौरा किया और बद्रीनाथ से 45.2 किमी, केदारनाथ से 51 किमी दूर, दिल्ली से 513 किमी की दूरी पर स्थित कस्बे के प्रभावित निवासियों को आश्वस्त करने के लिए रात वहीं बिताई। जोशी मैथ के लोगों का जीवन इन दिनों दहसत में गुजर रहा है जिसको लेकर सरकार के कई फैसले भी सामने आ रहे है। वहीं बीते दिनों घरों से बाहर स्थानांतरित किए गए लोगों के लिए 1.5 लाख रुपये की अंतरिम सहायता की घोषणा की गई है। जिसको लेकर भी वहां लोगों ने विरोध प्रधर्शन किया था।

 

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