Uttar Pradesh: पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 लोगों को आजीवन कारावास, 27 साल से चल रहा था हत्या का केस !

जौनपुर कोर्ट ने सोमवार को पूर्व सांसद उमाकांत यादव और उनके छह साथियों हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।

जौनपुर कोर्ट ने सोमवार को पूर्व सांसद उमाकांत यादव और उनके छह साथियों हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। 5 अगस्त को शाहगंज GRP सिपाही हत्याकांड में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 लोगों को दोषी करार दिया गया था। जिस पर फैसला सुरक्षित रखते हुए 8 अगस्त को सजा सुनाई गई है।

1955 से चल रहा था मामला !

यह मामला 4 फरवरी 1995 का है, जब जौनपुर के शाहगंज स्टेशन पर दो पक्षों में बेंच पर बैठने को लेकर विवाद हो गया था। GRP को सुचना मिलते ही वह मौके पर पहुंची। जिसके बीच लड़ाई हुई थी उनमें से एक व्यक्ति खुद को विधायक उमाकांत यादव का ड्राइवर राजकुमार बता रहा था। कहासुनी के बाद ड्राइवर ने जीआरपी के सिपाही रघुनाथ सिंह को थप्पड़ मार दिया। जिसके बाद राजकुमार को जीआरपी चौकी में लाकर बन्द किया गया।

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शनिवार को जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट से बाहर आते उमाकांत यादव।

उमाकांत असलहे लेकर पहुंचे थे लॉकअप ?

आरोप है कि उमाकांत यादव को  विवाद और अपने ड्राइवर के अरेस्ट होने की खबर मिलने के बाद वे असलहे लेकर अपने गनर बच्चूलाल, PRD जवान सूबेदार, धर्मराज, महेंद्र और सभाजीत के साथ पहुंच गए। इन सभी के हाथों में रिवॉल्वर, कार्बाइन रायफल और देसी तमंचा था। GRP लॉकअप के सामने उमाकांत ने गोलियां चलाने को कहा। इसके बाद स्टेशन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गयी।

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पुलिस ने दर्ज किये थे 10 से ज्यादा मामले !

हमले में गोली लगने से जीआरपी कांस्टेबल अजय सिंह ने मौके पर ही मौत हो गयी। वहीं सिपाही लल्लन सिंह, रेलवे कर्मचारी निर्मल और यात्री भरत लाल गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान उमाकांत अपने साथी को लॉकअप से निकाल कर फरार हो गए। कांस्टेबल रघुनाथ सिंह ने घटना को लेकर FIR दर्ज कराई थी। पुलिस ने हत्या, हत्या के प्रयास सहित 10 अलग-अलग गंभीर धाराओं पर मुकदमा दर्ज किया था। बाद में मामले को CBCID को सौंप दिया गया था। GRP कांस्टेबल अजय सिंह की हत्या का मामला कोर्ट में 27 साल से चल रहा था। इस मामले में लगभग 598 बार सुनवाई की गयी। सरकारी वकील लाल बहादुर पाल और CBCID के सरकारी वकील मृत्युंजय सिंह ने इस मामले में 19 गवाहों को भी पेश कराया।

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