# परम्परा : क्यों पीटी जाती हैं ‘ नागपंचमी ‘ को गुड़ियाँ, क्यों पिलाते है सांप को दूध ? जानिए पूरी वजह
हिन्दू धर्म में पौराणिक काल से ही सांपों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है, नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का खास महत्व माना जाता है
संक्षेप में
नागपंचमी को सांप को दूध पिलाने व गुड़िया पीटने की प्रथा प्रचलित है। इसको लेकर दो कहानियां प्रचलित है। एक गुड़िया पीटने को लेकर है। तो दूसरी नाग को दूध पिलाने की है।
विस्तार से
एक कहानी प्रचलित है
उत्तर प्रदेश में नागपंचमी के दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यहां इस दिन गुड़िया की पिटाई की जाती है। इसके पीछे कई प्रचलित कहानियां हैं। गुड़ियों को पीटने की परंपरा से जुड़ी एक कहानी प्रचलित है जो भोलेनाथ के एक भक्त से जुड़ी है। इस पौराणिक कथा के अनुसार, भोलेनाथ का एक महान भक्त प्रतिदिन शिव मंदिर में पूजा करने और नाग देवता के दर्शन करने आता था।
भक्त प्रतिदिन नाग देवता को दूध पिलाते थे। धीरे-धीरे दोनों में प्यार हो गया। नाग देवता भक्त से इस कदर जुड़ जाते थे कि उन्हें देखते ही वे अपने मणि को छोड़कर अपने पैरों में लपेट लेते थे। सावन के महीने में एक दिन वह भक्त अपनी बहन के साथ उसी शिव मंदिर में आया। हमेशा की तरह भक्त को देखते ही सांप उनके पैरों से चिपक गया। यह दृश्य देखकर बहन डर गई।
उसे लगा कि सांप उसके भाई को काट रहा है। भाई की जान बचाने के लिए बहन ने उस सांप को पीट-पीट कर मार डाला। इसके बाद जब भाई ने बहन को अपनी और सांप की पूरी कहानी सुनाई तो वह रोने लगी। वहां मौजूद लोगों ने कहा कि ‘नाग’ देवता का रूप है। तुमने उसे मार डाला इसलिए तुम्हें सजा मिलनी चाहिए। हालांकि यह पाप अनजाने में हुआ है इसलिए भविष्य में इस दिन कन्या के स्थान पर गुड़िया को पीटा गया। इस तरह नाग पंचमी के दिन गुड़ियों को पीटने की परंपरा शुरू हुई।
एक और पौराणिक कथा के अनुसार
एक और पौराणिक कथा के अनुसार राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक सर्प के काटने से हुई थी। कुछ वर्षों के बाद, तक्षक की चौथी पीढ़ी की बेटी का विवाह राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी से हुआ। शादी के बाद उसने बीते दिनों का ये राज एक नौकर को बताया। लड़की ने नौकरानी से कहा कि वह यह बात किसी और को न बताए |
लेकिन वह नौकरानी नहीं मानीऔर उसने यह बात दूसरी नौकरानी को बताई। इस तरह बात फैलते ही पूरे शहर में फैल गई। यह बात जब तक्षक के राजा के पास पहुंची तो वे भड़क गए। उसने शहर की सभी महिलाओं को चौराहे पर इकट्ठा होने का आदेश दिया। इसके बाद उन्होंने कोड़ों से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी। राजा इस बात से नाराज था कि महिलाओं के पेट में कुछ भी नहीं पचता और इस वजह से उसकी पीढ़ी से जुड़ी एक पुरानी बात पूरे साम्राज्य में फैल गई। मान्यताओं के अनुसार तभी से यहां गुड़ियों को पीटने की परंपरा मनाई जा रही है।