नमामि गंगे परियोजना में बढ़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने के आसार !

योगी सरकार और केंद्र में मौजूद मोदी सरकार के सबसे बड़े प्रोजेक्ट 'नमामि गंगे'  पर इस समय कई सवाल उठ रहे हैं।

योगी सरकार और केंद्र में मौजूद मोदी सरकार के सबसे बड़े प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’  पर इस समय कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि नमामि गंगे के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक दिए गए यानी कि खर्च कर दिए गए लेकिन गंगा की स्थिति जस की तस बनी हुई है।

खर्च पैसो का मांगा लेखा-जोखा

गंगा में किसी भी प्रकार का बदलाव अभी तक देखने को नहीं मिला है। अब नमामि गंगे के प्रोजेक्ट को लेकर इलाहाबाद के हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है और कोर्ट से नमामि गंगे पर किए गए खर्च रुपए का लेखा-जोखा मांगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के मामले में सरकारी विभागों को पर भी नाराजगी जताई है। साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा(National Mission for Clean Ganga) का पूरा प्रोजेक्ट ही आंखों में धूल झोंकने वाला है।

यह टिप्पणी मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल(Chief Justice Rajesh Bindal), न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता(Justice Manoj Kumar Gupta) एवं न्यायमूर्ति अजीत कुमार(Justice Ajit Kumar) की पूर्ण पीठ ने गंगा प्रदूषण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर बुधवार को सुनाई करते हुए कहा है। कोर्ट ने गंगा में प्रदूषण स्तर को लेकर कराई गई जांच की रिपोर्ट की लीपापोती पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आड़े हाथों लिया।

क्या है नमामि गंगा प्रोजेक्ट

आइये हम आपको बताते है कि नमामि गंगा प्रोजेक्ट क्या है। इस प्रोजेक्ट की शुरवात जुलाई 2014 को किया गया था। ये परियोजना 18 वर्षो के लिए है। उस समय इसकी लागत 2037 करोड़ रुपये की राखी गयी थी।

 

परियोजना में शामिल मंत्रालय केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प शामिल थी। सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘Namami Gange’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2021-2022 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी थी।

बजट को किया साफ़

तमाम रुपये गंगा सफाई को लेकर खर्च किये जा चुके है। लेकिन अभी तक तक गंगा मइया की हालत वैसे के वैसे बने हुए है। सम्बंधित विभाग सफाई में खर्च की गयी रकम का लेखा जोखा भी नहीं दे पा रहा है। जिससे ये बात साफ तौर पर साबित होती कि गंगा जी को साफ़ करते बजट को ही ठेका लेने वाले विभाग ने साफ़ कर दिया है। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने के आसार दिख रहे है।

 

 

 

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