उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध मंदिर, यहां हनुमान जी की मूर्ति खाती है लड्डू और जपती है राम नाम विश्व की पहली हनुमान मूर्ती जिसमें है अद्भुत चमत्कार !

इटावा उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर बीहड़ में प्रतापनेर ग्राम रूरा में यमुना नदी के किनारे पिलुआ

इटावा उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर बीहड़ में प्रतापनेर ग्राम रूरा में यमुना नदी के किनारे पिलुआ बजरंगबली का मंदिर स्थापित है.यहां बुढ़वा मंगल के दिन काफी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. मंदिर में लाखों की तादाद में आज के दिन भक्तों पहुंचते और भगवान बजरंगबली के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ।

इस मंदिर के महाभारत काल से जुड़े होने की मान्यता है.मंदिर के महंत और साधुओं के द्वारा बताया गया कि इसी स्थान पर वह घटना घटी थी जिसके बाद पूरे विश्व में बुढ़वा मंगल का पर्व मनाया जाने लगा था.इटावा शहर से महज 10 किलोमीटर दूरी पर स्थापित पिलुआ हनुमान जी की मूर्ति एक ऐसी मूर्ति है जो पूरे विश्व में आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी यह मूर्ति दक्षिण मुखी लेटी हुई प्रतिमा है और इनका मुंह खुला हुआ है।

घमंड तो इस मंदिर में कई महापुरुषों का टूटा

इनको जो भी भक्त गण प्रेम और स्नेह से भोग लगाता है, तो एक ही लड्डू में भगवान प्रसन्न हो जाते हैं. वरना घमंड तो इस मंदिर में कई महापुरुषों का टूटा है.कई घमंडी पूरे राज्य का भोज हनुमान जी को चढ़ाने के बाद भी उनकी भूख नहीं मिटा सके थे.पूरे राज्य का दूध पीने के बाद भी नहीं मिटी थी हनुमान जी की भूख मंदिर के इतिहास को बताते हुए मंदिर के साधुओं ने बताया कि स्वामी तुलसीदास के द्वारा उस समय इस राज्य के राजा राजा हुकुम तेज प्रताप सिंह चौहान को बताया गया था कि इसी स्थान पर भगवान हनुमान जी की प्रतिमा नीचे दबी हुई है.उसे निकाल कर वहां मंदिर का निर्माण कराया जाए।

जिसके बाद राजा ने उस जगह की खुदाई कराई तू पीलवा के पेड़ की जड़ों के अंदर लेटे हुए मुख्य खुली हुई बजरंग बली की प्रतिमा निकली.जिसके बाद राजा ने उस समय मंदिर बनवाया और भगवान बजरंग बली की प्रतिमा को उसी स्थान पर स्थापित कर दिया.श्रद्धा भाव से दूध पिलाने पर आई भगवान हनुमान को डकार इसके बाद राजा को घमंड हो गया कि उन्होंने भगवान बजरंगबली का मंदिर बनवा दिया है.

जिस पर बजरंगबली ने उनका घमंड तोड़ा। दरअसल जब राजा उन्हें भोग लगाने पहुंचे तो उन्होंने धीरे-धीरे कर पूरे राज्य का अन्य जल ग्रहण कर लिया,लेकिन फिर भी उनकी भूख नहीं मिटी ।  फिर भी राजा का घमंड नहीं टूटा और उन्होंने पूरे राज्य से दूध इकट्ठा कर बजरंग बली की प्रतिमा को पिला दिया।

बुढ़वा मंगल से दशहरा की अवधि 1 महीने के अंदर

जिसके बाद भी उनकी भूख नहीं मिटी। राजा ने हार मानी और उनकी पत्नी ने श्रद्धा भाव से उन्हें थोड़ा सा दूध पिलाया और लेटे हुए हनुमान जी को डकार आ गई.आज ही के दिन विकराल रूप लेकर रावण की लंका में लगाई थी आग बुढ़वा मंगल का संबंध कुछ धर्म ज्ञानी और शास्त्रों के अनुसार रामायण काल की भी एक घटना से जोड़ा जाता है.जब सीता की खोज करने के लिए हनुमान जी लंका की अशोक वाटिका में बैठी सीता मां को मिलने पहुंचे ही थे.

तो उसी समय रावण मां सीता को खड़क दिखाकर धमका रहा था कि एक मास में अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तुम्हें अपनी कृपाल से तुम्हारा वध कर दूंगा और यह कहकर वहां से चला गया. हनुमान जी मां सीता के सम्मुख पहुंचे और उनसे कहा कि मुझे आप का पता लगाने के लिए मेरे प्रभु श्री राम ने भेजा है।

जल्दी वह आपको यहां से ले जाएंगे.जिस पर मां सीता ने हनुमान जी को अपने हाथ का चूड़ामणि उतार कर दी और कहा कि प्रभु से कहना कि 1 माह से पहले मुझे यहां से ले जाएं.अगर इससे देरी हुई तो वो मुझे जीवित नहीं पाएंगे. जिसके बाद रावण के पुत्र मेघनाथ ने बजरंगबली को ब्रह्मास्त्र से कैद कर लिया और रावण के सम्मुख जाकर प्रस्तुत किया.जिसके बाद बजरंगबली की पूंछ में आग लगाकर उन को मारने का प्रयास किया गया,लेकिन बजरंगबली ने उसी पूछ में लगी हुई आग से पूरी लंका में आग लगा दी और रावण का अहंकार तोड़ दिया. बताया गया है कि आप कभी भी देख लीजिए बुढ़वा मंगल से दशहरा की अवधि 1 महीने के अंदर ही रहती है।

बजरंग बली ने यहीं भीम का भी घमंड किया था चकनाचूर

इस मंदिर की अहम भूमिका महाभारत काल में बताई गई है.इसी स्थान पर 10000 हाथियों का बल रखने वाली पांडवों में सबसे बलवान भीम का घमंड भी बजरंगबली ने तोड़ा था.यहां बजरंगबली पांडवों के अज्ञातवास के दौरान बैठे हुए थे. तभी भीम इसी रास्ते से गुजरे तो उन्होंने देखा एक बूढ़ा बाहर बैठा हुआ है और उसकी पूंछ पूरे रास्ते को घेरे हुए है. जिसके बाद उन्होंने बूढ़े को अपनी पूंछ उठाने को कहा,तो हनुमान के रूप में बैठे बूढ़े बानो ने कहा कि मैं तो बूढ़ा हूं उठ नहीं पाऊंगा ।

 

आप ही हमारी पूंछ हटा दीजिए.जिस पर भीम ने पूरे दस हजार हाथियों की ताकत लगा दी, लेकिन पूंछ को हिला तक ना सके.भीम ने उनके सामने हाथ जोड़े और कहा कि आप कौन है तो वह हनुमान जी के रूप में प्रकट हुए और उन्हें दर्शन दिए. इसके बाद भीम ने अपनी गलती को स्वीकारा ।

विश्व में ऐसी बजरंगबली की नहीं है कोई दूसरी प्रतिमा

इस मंदिर की मान्यता है कि दक्षिण मुखी लेटे हुए बजरंगबली की ऐसी प्रतिमा जो कि भोग ग्रहण करने वाली ऐसी कोई दूसरी विश्व में नहीं है.यहां भगवान बजरंगबली सभी भक्तों का प्रसाद ग्रहण करते और सभी भक्तजन वहां पहुंचकर उन्हें लड्डू व अन्य भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न करने का हर संभव प्रयास करते हैं

.बताया जाता है कि पिलुआ मंदिर में विराजमान बजरंगबली को जीवित हनुमान जी भी कहा जाता है क्योंकि वह हर समय भगवान श्री राम का नाम लेते रहते हैं.मंदिर में रह रहे साधु-संतों का कहना है कि बजरंग बली की प्रतिमा हर समय राम नाम का जाप करती रहती है. आप जब वहां शांति पूर्वक बैठेंगे तो भगवान बजरंगबली की प्रतिमा के मुख से राम राम नाम जबकि ध्वनि आप भी सुन सकते हैं ।

देशी पर्यटक करने आते हैं दर्शन

मंदिर के प्रति लोगों की आस्था पहले इटावा जनपद वह पूरे प्रदेश में फैली हुई थी, लेकिन सोशल मीडिया ने अब देश के दूरदराज के हिस्सों में भी इस मंदिर के प्रति लोगों में आस्था जगाई है. मंदिर के महंत का कहना है कि देश-विदेश से भी अब मंदिर में श्रद्धालु पहुंचते हैं और भगवान बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

आज बुढ़वा मंगल के दिन लाखों की तादाद में पूरे देश से श्रद्धालु बजरंगबली दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं.आखिर कहां पहुंचता है खाना, कई बार हो चुकी है रिसर्च पिलुआ मंदिर की मूर्ति के मुख में जाने वाले भोग का आज तक कोई भी पता नहीं लगा सका, इसकी रिसर्च के लिए कई बार वैज्ञानिक भी आ चुके हैं जो हनुमान जी के मुख पर रात दिन रिसर्च करते रहे और पूरे मंदिर का भी निरीक्षण किया,।

लेकिन वह आज तक यह पता नहीं लगा सके कि हनुमान जी की प्रतिमा में जाने वाला लड्डू, दूध और अन्य भोग की वस्तु आखिर जाती कहां है. यह एक रहस्य है जो आज तक उजागर नहीं हुआ है.मंदिर की मान्यता बताते हुए मंदिर के मुख्य महंत हरभजन दास महाराज जी ने बताया कि जो भी भक्त सच्चे मन से साथ मंगलवार को यहां भगवान बजरंगबली की पूजा अर्चना करता है और उनको चोला चढ़ाता है उसकी हर मनोकामना बजरंगबली पूर्ण करते हैं आज बड़ी धूम धाम के साथ बजरँगवली का जन्मोत्सव मनाया गया ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button