बिल्किस बानो की याचिका पर दोषियों को राहत देने के खिलाफ जल्द बेंच गठित करने की मांग वाली दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार !

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों की सजा कम करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों की सजा कम करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए नई पीठ गठित करने की बिलकिस बानो की याचिकाओं पर बुधवार को विचार करने से इनकार कर दिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने उनके वकील, एडवोकेट शोभा गुप्ता पर आपत्ति जताई, जो बार-बार मामले की सुनवाई के लिए दूसरी बेंच गठित करने की मांग कर रहे थे।

 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी

गुजरात में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय बिलकिस बानो 21 साल की और पांच महीने की गर्भवती थी, जब उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उनकी तीन साल की बेटी उस समय मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से थी। जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अतीत में कहा था कि सामूहिक छूट की अनुमति नहीं दी जा सकती

मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोग 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से बाहर चले गए, जब गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत उन्हें रिहा करने की अनुमति दी। वे जेल में 15 साल से ज्यादा का समय पूरा कर चुके थे। बानो के मामले की सुनवाई के लिए सीजेआई को अब नई बेंच गठित करनी होगी। बिलकिस ने अपनी याचिका में कहा, “दोषियों की समय से पहले रिहाई… ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।” उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अतीत में कहा था कि सामूहिक छूट की अनुमति नहीं दी जा सकती है और राहत देने से पहले प्रत्येक दोषी के मामले की अलग से जांच करनी होगी।

 

हैशटैग भारत की हिन्दी वेबसाईट के लिए आप यहां www.hashtagbharatnews.com क्लिक कर सकते हैं। आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button