बाराबंकी का एक ऐसा चमत्कारी कुआं, जिसके पानी से नहाते ही लोगों की दूर हो जाती है यह खतरनाक बीमारी, दूर-दूर से आते हैं लोग !

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पौराणिक और सदियों पुरानी प्राचीन औषधीयों से युक्त एक ऐसा कुआं है, जिसके पानी को पीने और नहाने से लोगों की पीलिया यानी जॉन्डिस जैसी भयंकर बीमारी दूर हो जाती है।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पौराणिक और सदियों पुरानी प्राचीन औषधीयों से युक्त एक ऐसा कुआं है, जिसके पानी को पीने और नहाने से लोगों की पीलिया यानी जॉन्डिस जैसी भयंकर बीमारी दूर हो जाती है। इस चमत्कारी कुएं की चर्चा काफी दूर-दूर तक है। लोग दूर-दूर से हर रविवार और मंगलवार के दिन यहां पहुंचते हैं।

और कुआं के पानी से स्नान करने के बाद माता के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। लोगों का कहना है कि उनकी बीमारी इस कुएं के पानी को पीने और नहाने से दूर हो जाती है।

जल से स्नान करने से लोगों की जॉन्डिस जैसी खतरनाक बीमारी दूर

यह कुआं बाराबंकी जिले में बीबीपुर गांव में स्थित है। इस कुआं को लोग कांवर कुआं के नाम से भी जानते हैं। कुआं के पास ही मां दुर्गा का भव्य मंदिर है। यहां हर रविवार और मंगलवार के दिन दूर-दराज से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। यह लोग कांवर यानी जॉन्डिस जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे होते हैं।

वह लोग कतार बद्ध तरीके से कुआं के जल से स्नान करते हैं और इस पानी को पीकर घर के लिए भी ले जाते हैं। लोगों का दावा है कि कुआं के जल से स्नान करने से लोगों की जॉन्डिस जैसी खतरनाक बीमारी दूर हो जाती है। लोगों ने बताया कि उन्हें और उनके तमाम जानने वालों को इससे फायदा हुआ है।

कुएं के औषधीय बनने के पीछे का क्या है कारण

इसका जल बीमार लोगों के लिए अमृत के सामान है और रामबाण साबित होता है। हालांकि डाक्टर इसे अंधविश्वास कहते हैं, लेकिन लोग इसे चमत्कार मानते हैं। लोगों का कहना है कि जब डाक्टर से भी फायदा न मिले तब लोग इस कुएं की शरण में आते हैं। इस कुएं का जल सप्ताह के दो दिन रविवार और मंगलवार को अमृत बन जाता है।

बुजुर्गो और जानकारों की मानें तो यह महाभारत कालीन पौराणिक और औषधीय कुआं है। पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान बाराबंकी के इसी कुएं के पास हवन और यज्ञ करने के बाद उसकी पवित्र भभूती और राख को यही गाड़ दिया गया था। जिससे अब इस कुएं का जल औषधीय हो गया है।

दवा के रूप में पानी का किया जाता है इस्तेमाल

यहां आये लोगों ने बताया कि इस कुएं की चर्चा काफी दूर तक है। ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को कांवर और लिवर की बीमारी के साथ हाथ पैरों में दर्द होता है। इस कुएं के पानी से नहाने और पीने से वह ठीक हो जाता है। लोग यहां से पानी भी भरकर ले जाते है। इससे पीलिया बीमारी से पीड़ित मरीजों को निश्चित लाभ मिलता है। इसीलिए लोग यहां पर आते हैं।

पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ में इस कुआं के पानी को पीकर और इसी से नहाकर पास में बने मां दुर्गा के मंदिर में पूजा अर्चना करते हुए प्रसाद चढ़ाते हैं। वह कुएं के पानी को पीने के लिए घर भी ले जाते हैं और उसे दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इससे उन्हें इस बीमारी से छुटकारा मिलता है। इसीलिए इस कुआं और मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा और आस्था पिछले कई सालों से वैसे ही बरकरार है।

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