एक ऐसा ऐतिहासिक सिद्धपीठ मंदिर जहाँ कभी डकैत चढ़ाते थे झंडा, जाने 500 वर्ष पुराने मंदिर की कहानी !

इटावा चैत्र नवरात्रि की दूसरे दिन की शुरुआत हो रही है और सिद्ध पीठ काली वाहन मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है।

इटावा चैत्र नवरात्रि की दूसरे दिन की शुरुआत हो रही है और सिद्ध पीठ काली वाहन मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है। आपको बता दें कि काली वाहन मंदिर 400 से 500 वर्ष पुराना एक सिद्ध पीठ हैं सिद्ध पीठ काली बहन को बीहड़ वाली माता भी कहा जाता है क्योंकि सिद्ध पीठ काली वाहन 20 वर्ष पहले बीहड़ों में स्थित था और बीहड़ों में डाकुओं का बोलबाला था।

डाकू भी इस मंदिर में आकर अपनी अरदास लगाते थे

लेकिन अब 80 फ़ीसदी मंदिर आबादी में आ चुका है लोग बताते हैं कि डाकू भी इस मंदिर में आकर अपनी अरदास लगाते थे और माता उनकी हर मनोकामना को पूरा करती थी और वह मंदिर के विकास कार्यों में दान भी दिया करते थे लेकिन बदलते हालातों के साथ अब सब कुछ बदल गया है आपको बता दें कि सिद्धपीठ काली वाहन पर हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और घंटों लाइन में लगने के बाद माता रानी के दर्शन पाते हैं।

सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है मातारानी

काली वाहन मंदिर में सभी भक्तों की मनोकामना मातारानी पूरी करती हैं सिद्ध पीठ काली वाहन मंदिर में उत्तर प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों एवं जनपदों से भारी संख्या में भक्त माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं। 9 दिनों तक सिद्धपीठ काली वाहन मंदिर में जगह-जगह भंडारी आयोजित किए जाते हैं इस बार मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है।

 

 

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