आज के ही दिन परमाणु हमले से बर्बाद हुए नागासाकी की कहानी !
9 अगस्त को ही आज से ठीक 77 साल पहले जापान का एक खूबसूरत शहर सत्ता की सनक व गलत नीतियों की भेंट चढ़ गया था
युद्ध जिसका नाम सुनते ही मन में हथियारों की कर्कस धुन व गोलियों की तड़तड़ाहट मन में घर कर जाती है। दिमाग में अनगिनत लाशों का ढेर व लाखों करोड़ों लोगों को भोजन व खोए घर की तलाश में भटकता हुआ एक चित्र उतर जाता है।
भोली भाली जनता भुगत रही
लेकिन इसमें दोनों तरफ की हार निश्चित होती है। क्योंकि जो युद्ध हारता है वो जन, बल के साथ आर्थिक नुकसान उठाता है। जबकि जीतने वाला भले ही ख़ुशी मनाये लेकिन वो भी जन, बल व आर्थिक नुकसान उठाता है, फिर चाहे वो दूसरे की तुलना में कम ही क्यों न हो। 9 अगस्त को ही आज से ठीक 77 साल पहले जापान का एक खूबसूरत शहर सत्ता की सनक व गलत नीतियों की भेंट चढ़ गया। जिसका अंजाम आज भी वहां की भोली भाली जनता भुगत रही है।
कहानी साफ साफ लफ्जों में बयाँ
आज हम आपको उस दिन हुए आखरी परमाणु हमले की कुछ बातें बताने जा रहे है कि कैसे ये दिन उस प्यारे शहर नागासाकी के लिए काल के सामान बनकर टूट पड़ा। कैसे वहां कि हस्ती खेलती जिंदगियों में जहरीला रूखापन बस गया ? कैसे आज भी यहां कि जनता, जमीन व जनजाति अपने ऊपर हुए उस अत्याचार की कहानी को साफ साफ लफ्जों में बयाँ करती है ?
लोग जीने की नहीं मरने कि भीख मांगने लगे
दरअसल ये बात दूसरे विश्वयुद्ध 1945 के समय की है। जब दुनिया अपने वर्चस्व व सत्ता की हनक को लेकर आमने सामने थी। जिसको लेकर सारे विश्व में उथल पुथल मची हुई थी। इसी दौरान अमेरिका के द्वारा दुनिया का पहला परमाणु बम जापान के हिरोशिमा में गिराया गया था। इसके ठीक 3 दिन बाद आज के ही दिन उसका अगला निशाना जापान का ही नागासाकी बना। जिसके बाद 4000 डिग्री की गर्मी व काले बादलों की बारिश ने वहां के लोगों पर ऐसा कोहराम मचाया कि लोग जीने की नहीं मरने कि भीख मांगने लगे।
युद्ध से आज तक किसी का भी भला नहीं
हालाँकि इस हमले के बाद देश के सभी परमाणु संपन्न देशों ने इस हमले कि निंदा करते हुए भविष्य में परमाणु हमला न करने कि शपथ खायी। लेकिन उसके बाद लगभग सभी देश लगातार अपनी परमाणु शक्ति को बढ़ाने में लगे हुए है। यह भी एक सोंचने की बात है। साथ यह भी याद रखें कि युद्ध से आज तक किसी का भी भला नहीं हुआ है।