राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में नहीं शामिल होंगे शंकराचार्य ,उठाए मंदिर पर सवाल !

चारों शंकराचार्यों में से कोई भी अयोध्या में समारोह में शामिल नहीं होगा क्योंकि यह मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने से पहले किया जा रहा है।

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह होना है। खास बात है कि इस समारोह से चार शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे। हालांकि, इन चार शंकराचार्य में से दो लोगों ने अब इस आयोजन को अपना समर्थन देने की बात कही है। इससे पहले एक वीडियो संदेश में जोशीमठ के ज्योर्तिपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि चारों शंकराचार्यों में से कोई भी अयोध्या में समारोह में शामिल नहीं होगा क्योंकि यह मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने से पहले किया जा रहा है।

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शंकराचार्य हिंदुत्व के महान प्रतिनिधियों में से एक

जानकारी के लिए बता दें शंकराचार्य हिंदू धर्म में सर्वोच्च गुरू का पद होता है,जो बौद्द धर्म में दलाईलामा् और ईराई धर्म में पोप के समान ही होता है। भारत में चार मठों में चार शंकराचार्य होते हैं, सिर्फ स्वामी स्वरूपानंद ही ऐसे शंकराचार्य थे जो दो मठों के प्रमुख थे। शंकराचार्य पद के इतिहास पर नजर डालें तो इस पद की शुरुआत आदी शंकराचार्य से मानी जाती है, जो एक हिंदू दार्शनिक और धर्मगुरू थे। साथ ही आदि शंकराचार्य हिंदुत्व के सबसे महान प्रतिनिधियों में से एक थे. उन्होंने ही सनातन धर्म की प्रतिष्ठा के लिए भारत में चार अलग-अलग क्षेत्रों में चार मठों की स्थापना की थी। इन मठों में आदि शंकराचार्य ने अपने चार प्रमुख शिष्यों का आसीन किया ,जिसके बाद से ही इन चार मठों में शंकराचार्य पद की परम्परा चली आ रही है और इसके अलावा चारों में अपना-अपना एक विशेष महावाक्य भी है।

प्राण प्रतिष्ठा के समय को लेकर उठे सवाल

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय को लेकर भी सवाल उठाए हैं और कहा गया है कि चारों शंकराचार्य वहां पर नहीं जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि शंकराचार्यों का यह दायित्व है कि वे शास्त्रविधि का पालन करें और करवाएं। वहां पर शास्त्र विधि की उपेक्षा हो रही है। सबसे पहली उपेक्षा यह है कि मंदिर अभी पूरा बना नहीं है और प्रतिष्ठा की जा रही है। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं है कि ये अचानक करना पड़े।

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