कुशीनगर हादसा : ” रोते ” रहे मरीजों के परिजन, ” टरकाते ” रहे जिम्मेदार जन

ऐन मौके पर " विकलाँग " साबित हुई स्वास्थ विभाग की सेवा, कर्मचारियों पर नशे में धुत होने का आरोप

कुशीनगर की घटना शायद इतनी बड़ी न होती। अगर मौके पर स्वास्थ विभाग ( health ) चेत जाता। क्योंकि जब घटना घटी उसके तुरंत बाद ही जब एम्बुलेंस को कॉल करी गयी। तो घटना के तीन घंटे बाद एम्बुलेंस भेजी गयी। स्थानीय निवासियों का कहना है की मौके पर पहले तो एम्बुलेंस नहीं आयी।

स्वास्थ कर्मी नशे की हालत में

फिर किसी तरह से उनको सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन वहां पर उनका इलाज करने की जगह उनसे बदसलूकी की गयी। इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया है की स्वास्थ कर्मी वहां पर नशे की हालत में मिले। जब वहां से घायलों को जिला अस्पताल ले जाया गया तो वहां पर भी डॉक्टरों ने उनसे इलाज की जगह बदसलूकी करी।

मांगो को जल्द से जल्द पूरा करने का आश्वासन

तो वहीं लोगो ने स्थानीय पुलिस की तारीफ करी है। साथ ही कहा की उनकी मांग है जिम्मेदार स्वास्थ कर्मियों पर कड़ी कार्यवाही करी जाये। साथ ही उनके इलाके में एक सरकारी अस्पताल बनवाया जाये। हालाँकि वहां के सांसद व डीएम ने उनकी मांगो को जल्द से जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया है।

जिम्मेदारों पर करवाई कब 

अब देखना होगा की आखिर कब इस घटना के जिम्मेदारों पर करवाई करी जाती है ? क्योंकि अक्सर आश्वासन तो दे दिया जाता है लेकिन करवाई व भरपाई में जनता को टरकाया जाता है।

बाईट : सुदर्शन जायसवाल (क्षेत्रीय निवासी)

रिपोर्ट : कुशीनगर से फरीद

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