# दर्दनाक कहानी : 19 की उम्र तक पांच बार बेंचा, सात साल में ही छीन ली मासूमियत !

समाज के कुछ दरिंदो से उस नन्ही सी पारी ये छोटी से आज़ादी देखी नहीं गई, उन्होंने उसके सपनों के पंखों को कुतरने का मन बना लिया

वो खेलती थी, घर के आँगन में माँ बाप की छांव में फुदकती थी, अपनी सहेलियों के साथ मोहल्ले में शोर मचाती थी। कभी अपनी शैतानियों से घर के कोनों को हिला देती थी। या यूँ कहे वो अपना बचपन जी रही थी। लेकिन समाज के कुछ दरिंदो से उस नन्ही सी परी की ये छोटी आज़ादी देखी नहीं गई।

उन्होंने उसके सपनों के पंखों को कुतरने का मन बना लिया था। महज सात साल की उम्र में उसे 2000 रुपये में बेंच दिया गया। उसे दिल्ली के उस नर्क में पहुंचा दिया गया जहाँ शायद ही कोई लड़की अपनी इच्छा से जाती होगी। उसके साथ दानवता यहीं ख़त्म नहीं हुई 19 साल की उम्र तक उसे पांच बार बेंचा गया। ये समाज को शर्मिंदा कर वाली कहानी हैं गुमला के रायडीह ब्लॉक की रहनेवाली प्रेमा ( काल्पनिक नाम ) की। जिसने इन 12 सालों में वो ऐसे ऐसे मंजर देखें हैं जिसकी कल्पना मात्र से रूह कांप जाती हैं।

टीमों द्वारा कई खुलासे किए गए

आरपीएफ की ‘लिटिल एंजेल’ और ‘मेरी सहेली’ टीमों द्वारा कई खुलासे किए गए। कैसे दलाल अपने समुदाय की लड़कियों के साथ सिर्फ कुछ हज़ार रुपये के लिए उन्हें बेंच देते हैं। रांची रेलवे डिवीजन में एक आईपीएफ सीमा कुजूर का कहना है कि मानव तस्कर अक्सर लड़कियों को ट्रेन से दिल्ली ले जाते हैं।

ये लड़कियां सुदूर इलाकों की हैं। इन लड़कियों के हाव-भाव से संकेत मिलता है कि इन्हें मानव तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है।

नौकरानी की नौकरी दिलाने के लिए दिल्ली ले जाया जा रहा

सीमा का कहना है कि 12 जून को रांची रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर हटिया-आनंद विहार ट्रेन को तैनात किया गया था। एक लड़की अपने सामान्य कोच में चुपचाप बैठी रही। मेरे दोस्तों के समूह को शक हुआ तो लड़की से पूछताछ की गई।

पहले तो वह झिझकी, फिर कहा कि उसे नौकरानी की नौकरी दिलाने के लिए दिल्ली ले जाया जा रहा है।

दिल्ली से 508 लड़कियों को छुड़ाया गया

पिछले दो साल में अकेले दिल्ली से 508 लड़कियों को छुड़ाया गया है। इनमें से कई लड़कियों को तो यह भी नहीं पता कि उन्हें कब दिल्ली लाया गया। उसे अपने माता-पिता के चेहरे तक याद नहीं थे। उषा का उदाहरण देते हुए संजय मिश्रा कहते हैं कि जब उन्हें बचाया गया, तो काफी प्रयास के बाद गुमला में उनके घर का पता लगाया जा सका।

उषा को अपने माता-पिता के चेहरे याद नहीं आ रहे थे और न ही उसकी माँ उसे पहचान पा रही थी। जब उसकी बड़ी बहन जब वह मुंडारी में अपनी मां से बात कर रही थी तब उषा ने जाकर उसे गले से लगा लिया।

लॉकडाउन के बाद नाबालिगों की तस्करी में इजाफा

महिला और बाल विकास मंत्रालय के अनुसार, 2018 और 2020 के बीच मानव तस्करी के मामलों में कमी आई है।

2018 में, 18 साल से अधिक उम्र की 1,064 लड़कियों की तस्करी की गई। 2019 में 923 और 2020 में 784 हो गई। हालांकि, तस्करी पर काम करने वाले संगठनों ने कहा कि अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन के बाद नाबालिगों की तस्करी में इजाफा हुआ है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button