#अंगदान : नन्ही जान ने किया दो का ‘ जीवन आसान ‘।
पिता उपिंदर ने कहा की मै उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की सुबह काम पर निकलने में व्यस्त था और अपने बच्चे को बाँहों में भी नहीं उठा सका
अंगदान एक ऐसा दान जिसके द्वारा व्यक्ति मरकर भी दूसरों को नया जीवन दे जाता है। मौत के बाद अपने शरीर के हिस्सों को दूसरे के शरीर में प्रत्यारोपित करके उसका जीवन बचा जाता है।
छोटी सी उम्र में वो बड़ा काम कर दिया
ऋषि दधीचि के इस भारत में आज भी ऐसे लोग है जो दूसरों का जीवन अपनी मौत के बाद संवार जाते है। ऐसा ही एक उदहारण देश के सबसे कम उम्र के अंग दानवीर रिशांत की कहानी है। जिसकी मात्र 16 महीने में मौत हो गई लेकिन उसने इस छोटी सी उम्र में वो बड़ा काम कर दिया जिसकी शायद किसी ने कल्पना की होगी। आइए जानते है इस नन्हे दानवीर की कहानी :
मासूम 24 अगस्त को लड़ाई में हार गया
कहते है की बच्चे भगवान का रूप होते है। उन्हें जाति, धर्म, ऊंच – नीच व छोटा बड़ा इन सबसे कोई मतलब नहीं होता। कुछ बच्चे ऐसे भी होते है वो वाकई इस बात को सच साबित कर देते है। 17 अगस्त को खेलते हुए निशांत के सिर पर गंभीर चोट लग गई। जिसके बाद उसे दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। जहाँ एक हफ्ते तक जिंदगी की जंग लड़ने वाला यह मासूम 24 अगस्त को लड़ाई में हार गया |
अपने बच्चे को बाँहों में भी नहीं उठा सका
अपनी पांच बहनो में सबसे छोटा व इकलौते बेटे को खोने के बाद उसके माता पिता टूट से गए। लेकिन उन्होंने उदारता दिखाए हुए उसके अंग को दान करने का निश्चय किया। पिता उपिंदर ने कहा की मै उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की सुबह काम पर निकलने में व्यस्त था और अपने बच्चे को बाँहों में भी नहीं उठा सका। पर अब मुझे लगता है कि अगर उसके अंग से दूसरे लोगों की जान बचा सकते है, तो मुझे उन्हें दान करना चाहिए।
कॉर्निया व हार्ट के वाल्व को एम्स में सुरक्षित रख लिया
अब राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन ( नाटो ) द्वारा अंगों का आवंटन किया गया है। मासूम निशांत की दोनों किडनियों को एम्स में उपचार करा रहे 5 साल के बच्चे में प्रत्यारोपित किया गया है। उसके लिवर को मैक्स अस्पताल में 6 महीने की बच्ची में ट्रांसप्लांट किया गया है। जबकि उसकी कॉर्निया व हार्ट के वाल्व को एम्स में सुरक्षित रख लिया गया है।
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