चारे की कहानी : जिसने बिहार के ” लाल ” का किया बुरा ” हाल “

पांच आसान पॉइंट्स में समझिए लालू प्रसाद यादव के जीवन में आए भूचाल की पूरी कहानी

देश के प्रमुख राज्य बिहार का चर्चित चारा घोटाला आप सबको तो याद ही होगा। कैसे इस घोटाले ने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ( lalu prasad yadav ) के शासन व व्यक्तित्व को लगातार सवालों के कटघरे में किया है। आज हम आपको बताने जा रहे है वो प्रमुख पांच बिंदु जो इस घोटाले व लालू की राजनीती को बयां करेंगे। आईये जानते है :

1 – जो जितना चुप रह पायेगा, वो उतना लाभ उठाएगा

पशुपालन विभाग के वार्षिक बजट से भी बहुत अधिक धन राशि सरकारी खजानों से जाली बिल पर निकाल गयी थी। इस लूट की राशि का बंटवारा नीचे से ऊपर तक के संबंधित व्यक्तियों के बीच हुआ था। पटना हाई कोर्ट ने कहा था कि उच्चस्तरीय साठगांठ के बिना ऐसा घोटाला संभव नहीं था। घोटाले से संबंधित पांचवें केस में भी लालू प्रसाद यादव को इस मंगलवार को दोषी पाया गया है।

2 – बजट से ज्यादा निकासी

सूत्रों की माने तो वितीय वर्ष 1992-93 का पशुपालन विभाग का बजट करीब 75 करोड़ रुपए का था। लेकिन उस वर्ष करीब 155 करोड़ रुपए खर्च किए गए। ठीक उसके बाद वर्ष 1993-94 का बजट भी उतनी राशि का था। लेकिन करीब 240 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए।

3 – जाँच के प्रश्नचिन्ह पर सत्ता का पूर्णविराम

डोरंडा कोषागार के अधिकारी संयुक्त सचिव एस.एन.माथुर ने जब इस निकासी पर रोक लगाई। इसके बाद उनसे सवाल किया कि किस आधार पर आप विपत्रों यानी बिल को पास करने में आपत्ति कर रहे हैं ? उस समय लालू प्रसाद यादव वित्त मंत्री थे।

4 – सीबीआई से पीछा छुड़ाने की कोशिश नाकाम

सन 1996 मार्च में जब हाई कोर्ट ने सी.बी.आई.जांच का आदेश दे दिया था। इसके विरोध में लालू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया कि सी.बी.आई.जांच की निगरानी पटना हाईकोर्ट करेगा। इसके बाद सीबीआई ने एक कर्तव्यनिष्ठ अफसर डा.यूएन विश्वास को जांच का भार सौंप दिया।

5 – तब राजसुख से वंचित हुए लालू

फिर 1997 जून में सी.बी.आई.ने लालू प्रसाद तथा अन्य लोगों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद जब लालू प्रसाद की गिरफ्तारी की नौबत आई। तब उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को अपनी जगह मुख्यमंत्री बना दिया गया।

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