Dev Diwali 2022: देव देवाली के दिन लाखों दीयों से जगमगा उठेंगे काशी के घाट, जानें दीपदान का विशेष महत्व !
काशी नगरी की वाराणसी (Varanasi) में देव दीपावली (Dev Diwali) का अलग ही उल्लास देखने को मिलता है।
काशी नगरी की वाराणसी (Varanasi) में देव दीपावली (Dev Diwali) का अलग ही उल्लास देखने को मिलता है। ऐसे में हर ओर दिवाली के बाद फिर से साज-सज्जा की जाती है। इस दिन गंगा घाट पर हर ओर मिट्टी के दिए प्रज्वलित किए जाते हैं। बता दें कि इस दिन दीपक के प्रकाश, जप, दान व स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।
काशी नगरी में देव दीपावली का अलग महत्त्व
प्रभारी जिलाधिकारी का कहना है कि, देव दीपावली को देखने के लिए वाराणसी में काफी अधिक संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं। इस महोत्सव समितियों से समन्वय करके इस पर्व की तैयारियों और कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न कराने में सरकारी विभागों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस कारणवश 7 नवंबर को एक दिन का स्थानीय अवकाश घोषित किया है।
मुख्य बिंदु
- पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर देवताओं को स्वर्ग वापस लौटाया था।
- इस खुशी में देवताओं ने इस दिन दीपावली मनाई जाती है।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था।
- इस दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है।
- दान व स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।
- ऐसा करने से व्यक्ति पर लक्ष्मी नारायण की कृपा होती है।
देव दीपावली का क्या है महत्त्व ?
- वाराणसी के मंडलायुक्त और प्रभारी जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जानकारी दी है।
- 8 नवंबर को चंद्रग्रहण होने की वजह से देव दीपावली का पर्व 7 नवंबर को मनाया जाएगा।
- देव दीपावली यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद 11 दीपों का दान करें।
- फिर नदी किनारे स्थित किसी मंदिर में पूजा अर्चना कर घर लौट जाएं।
- घर जाकर मां तुलसी के गमले और मंदिर में घी का दीया जलाएं।
- ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा होगी।
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