Delhi Liquor Policy: दिल्ली मे 1 अगस्त से पुरानी आबकारी नीति लागू, जानिए क्यूं लेना पड़ा ये फैसला ?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले साल जो नई आबकारी नीति लागू की थी, अब उस पर दिल्ली सर्कार को यूटर्न लेना पड़ रहा है।
Delhi Liquor Policy: दिल्ली मे 1 अगस्त से पुरानी आबकारी नीति लागू, जानिए क्यों लेना पड़ा ये फैसला ?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पिछले साल जो नई आबकारी नीति लागू की थी, अब उस पर दिल्ली सरकार को यूटर्न लेना पड़ रहा है। एक अगस्त से फिर से पुरानी आबकारी नीति लागू की जाएगी।
केवल सरकार द्वारा संचालित शराब ही बेची जाएगी: सिसोदिया
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार, 30 जुलाई 2022 को मीडिया से बात करते हुए कहा कि “हमने नई आबकारी नीति (2021-22) को समाप्त करने और शराब बेचने के लिए सरकारी शराब के ठेके खोलने का फैसला किया है, ताकि कोई भी दिल्ली में अवैध शराब की बिक्री न करे।” उन्होंने आगे यह भी कहा कि “अगले महीने से दिल्ली में केवल सरकार द्वारा संचालित शराब की बिक्री ही होगी।’
आपको बात दें कि 17 नवंबर 2021 से पहले, दिल्ली में निजी और सरकारी दोनों तरह की शराब की दुकानें संचालित की जाती थीं। नई आबकारी नीति पिछले साल 17 नवंबर से लागू हुई। जिसमें दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था और हर जोन में करीब 27 शराब की दुकानें थीं। नई आबकारी नीति के तहत शहर में 849 नए निजी शराब के ठेके खोले जाने थे।
एलजी ने की थी CBI जांच की मांग !
दिल्ली के एलजी ने नई आबकारी नीति को लेकर CBI जांच की मांग की थी। CBI जांच के बाद पुरानी आबकारी नीति को फिर से चालू करने का फैसला लिया गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल के दफ्तर से मिली जानकरी के मुताबिक, विनय कुमार सक्सेना ने चीफ सैक्रेटरी की एक रिपोर्ट के जवाब में मामले में CBI जांच की मांग की थी।
दिल्ली के एलजी के मुताबिक नई शराब नीति के तहत टेंडर प्रक्रिया में जान-बूझकर कमियां छोड़ी गईं थी ताकि कारोबारियों को फायदा पहुंचाया जा सके। भाजपा का यह भी आरोप है कि नई शराब नीति के तहत दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार किया है।
क्या थी नई आबकारी नीतियां ?
नई आबकारी नीतियों के मुताबिक दिल्ली में शराब पीने की कानूनी उम्र 25 साल से घटकर 21 साल कर दी गई थी। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर संचालित स्वतंत्र दुकान और होटल मे 24 घंटे शराब की बिक्री हो रही थी। शराब की दुकान कम से कम 500 वर्ग फीट में ही खुल रही थी। जिनके पास शराब बेचने का लाइसेंस था वे मोबाइल एप या वेबसाइट के जरिए आर्डर लेकर शराब की होम डिलीवरी कर रहे थे।
किसी छात्रावास, कार्यालय या संस्थान में शराब की डिलीवरी करने की इजाजत नहीं दी गई थी। पहले अधिकांश सरकारी दुकानें 150 वर्ग फीट में थी, जिनका काउंटर सड़क की तरफ होता था। दुकान का कोई काउंटर सड़क की तरफ नहीं था। दुकानों में लिए एंट्री और एक्जिट गेट अलग-अलग थे। शराब की दुकानों के बाहर खाने-पीने की दुकानें नहीं थीं। सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई थी। और सभी दुकानें मार्केट रेट के हिसाब से शराब की कीमत तय कर रही थीं