अब बेटियां नहीं जाएंगी स्कूल’, केके पाठक के विभाग के आदेश पर भड़के माता-पिता !
बिहार के जमुई के बरहट पंचायत के स्कूलों में नवम कक्षा में नामंकन की शिक्षा विभाग की अनिवार्यता बच्चियों के शैक्षणिक भविष्य पर रोक लगा रहा है। शिक्षा विभाग के इस निर्देश से परेशान अभिवावक दो टूक कह रहें कि घर से दूर सुदूरवर्ती के स्कूलों में बच्चियों को पढ़ने नहीं भेजेंगे, चाहे इनकी पढ़ाई ही बंद क्यों न कराना पड़े।
जहाँ एक तरफ लोक सभा चुनाव को लेकर माहौल गरमाया हुआ नज़र आ रहा है वही अब बिहार के जमुई के बरहट पंचायत के स्कूलों में नवम कक्षा में नामंकन की शिक्षा विभाग की अनिवार्यता बच्चियों के शैक्षणिक भविष्य पर रोक लगा रहा है। शिक्षा विभाग के इस निर्देश से परेशान अभिवावक दो टूक कह रहें कि घर से दूर सुदूरवर्ती के स्कूलों में बच्चियों को पढ़ने नहीं भेजेंगे, चाहे इनकी पढ़ाई ही बंद क्यों न कराना पड़े।
नामांकन लेने की गुहार प्रधानाध्यापक से लगाई
विभाग के फैसले और अभिभावकों की चिंता के बीच फंसी लड़कियों की स्थिति बेहद दयनीय है। इसका एक ताजा उदाहरण प्रखंड के राजकीय शुक्रदास उच्च विद्यालय में देखने को मिला। इस पुर मामले के बीच पिसती बच्चियों का रो-रोकर बुरा हाल है। इसकी बानगी प्रखंड के राजकीय शुक्रदास उच्च विद्यालय में देखने को मिली। बरहट पंचायत व नुमंर पंचायत की सीमा पर बरहट पंचायत अंतर्गत इस स्कूल में नुमंर पंचायत की छात्राएं रोते हुए नामांकन लेने की गुहार प्रधानाध्यापक से लगाई।प्रधानाध्यापक ने नियम से बंधे होने का हवाला देते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी व उच्च अधिकारी से बात करने की बात कही। बच्चियां अभिवावक समेत प्रखंड कार्यालय पहुंच गए, लेकिन चुनाव कार्यालय में व्यस्त रहने के कारण कार्यालय में मौजूद नहीं थे।
इस नियम से पिस रहे कई छात्र
नौवीं कक्षा में दाखिले के लिए पास के प्लस टू शुक्रदास हाई स्कूल में जाने पर प्रिंसिपल इला कुमारी ने बताया कि विभाग के पत्र में स्पष्ट लिखा है कि आपके स्कूल के बच्चों का दाखिला नहीं हो सकता। केवल बरहट पंचायत के बच्चों का ही नामांकन होना है। उन्होंने बताया कि आपके विद्यालय का एडमिशन प्लस टू हाई स्कूल पचेश्वरी में होगा।’ विद्यार्थियों ने बताया कि पचेश्वरी हमारे घर से दो किलोमीटर दूर जंगल की ओर है।रास्ता सुनसान है, यहां अक्सर शराबी और उत्पात मचाने वाले लोग रहते हैं, जिससे डर बना रहता है और जब इज्जत ही नहीं रहेगा तो पढ़ाने से क्या फायदा? दीपनारायण यादव, शोभन यादव, रंजीत यादव, जितेंद्र यादव, भूपेंद्र यादव समेत कई अभिभावकों ने पचेश्वरी के अपने घरों से दो किलोमीटर दूर स्थित सुनसान इलाके को लेकर चिंता जताई।
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