Neeraj Chopra Silver Medal: नीरज का कमाल, अमेरिका में धमाल

Neeraj Chopra Silver Medal: World Athletics Championship में नीरज का कमाल, अमेरिका में धमाल

हरियाणा के छोरे ने देश का मान बढ़ाया दिया जी हाँ नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने वर्ल्ड एथलेटिक्स में सिल्वर मेडल जीता है। रविवार का दिन था और वक्त था सात 15 मिनट… बेटा घर से सात समंदर पार अमेरिका में देश की नुमाइंदगी कर रहा है, तो हजारों किलोमीटर दूर हरियाणा के खांद्रा गांव में सैकड़ों आंखें टीवी स्क्रीन पर जमी हुई थी। बिना पालक झपकाएं सबकी निगाहें उस लम्हे का इंतजार कर रही थी कब वो थ्रो आयेगा जिससे देश को 19 साल बाद जश्न मनाने का मौका मिलेगा। और हुआ भी कुछ ऐसा ही हरियाणा के बेटे ने अपनी लय में भाला फेंका… और सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया।

ओलिंपिक के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा के वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर जीतते ही पिता की आँखों में आंसू आ गए वहीँ मां के साथ पूरा परिवार झूमने लगा, गांव के लोग लड्डू बांटने लगे। नाचते हुए मां बोलीं- बेटा जैसे ही घर आएगा, उसे चूरमा खिलाऊंगी। जश्न देश की राजधानी दिल्ली में भी मना और प्रधानमंत्री भी अपने आपको रोक नहीं पाए और कहा – ये मौका खास है।

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पहले प्रयास में फेल-

लेकिन ये मौका जितना खास है और जश्न जितना बड़ा है उससे कहीं ज्यादा कठिन इस मेडल को जीतने की राह थी. जैसे ही फाइनल शुरू हुआ सब के सब पर्दे के सामने बैठ गए सबको उम्मीद थी की मेडल तो पक्का है. गेम की शुरुआत हुई तो कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको चौका दिया। ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा पहले प्रयास में फेल हो गए थे।

उनका पहला थ्रो फाउल हो गया था. लेकिन बाज़ीगर फिल्म का एक डायलाग है की हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते है और कुछ यही नीरज चोपड़ा ने किया अगले थ्रो में जोर लगते हुए उन्होंने 82.39 मीटर दूर भाला फेंका। नीरज के प्रतिद्वंद्वी ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने पहले प्रयास में 90.21 मीटर और दूसरे राउंड में 90.46 दूर भाला फेंककर नीरज पर दबाव बना दिया था।

तीसरे और चौथे राउंड में मेडल –

इसके बाद नीरज ने तीसरे और चौथे राउंड में लगातार अपने प्रदर्शन को सुधारा। वह तीसरे राउंड में 86.37 और चौथे राउंड में 88.13 मीटर दूर भाला फेंकने में सफल रहे। नीरज पांचवें राउंड में फेल हो गए। पीटर्स 90.54 मीटर की दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब हुए।

लेकिन दूसरा सबसे लम्बा भाला कोई और न फेंक सका और नीरज ने 19 साल के सूखे को ख़त्म करते हुए 19 साल बाद इतिहास रच दिया है। नीरज के रूप में भारत को जावेल्लिन थ्रो में एक हीरा मिला है जिसने पूरी दुनिया में भारत को जावेल्लिन के छेत्र में पहचान दिलाई है।

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