# MUHHARAM 2022 : क्यों मनाया जाता है मोहर्रम ? जानिए पूरी कहानी

कोरोना काल के बाद यह पहला मौका है जब खुलकर इमाम हुसैन के चाहने वाले बिना किसी बंदिश के अज़ादारी कर पाएंगे।

ग़म के महीने मोहर्रम का आगाज़ इतवार से हो गया है। मोहर्रम का सिलसिला लगातार दो महीने 8 दिन तक जारी रहेगा। पहली मोहर्रम से लेकर 10 मोहर्रम यानी यौमे आशूरा तक बड़े पैमाने पर मजलिस मातम के साथ अपने रिवायती अंदाज में इतिहासिक जुलूस भी निकाले जाएंगे जिसकी तमाम तैयारियां मुकम्मल कर ली गई हैं। कोरोना काल के बाद यह पहला मौका है जब खुलकर इमाम हुसैन के चाहने वाले बिना किसी बंदिश के अज़ादारी कर पाएंगे।

 कर्बला में शहीद उनके 72 साथियों को याद करते हैं

शहादत और ग़म का महीना मोहर्रम पूरे देश में रविवार 31 जुलाई से मनाया जाएगा। मोहर्रम के 10 दिनों तक इमाम हुसैन के चाहने वाले ग़मज़दा माहौल में जुलूस निकालकर हजरत इमाम हुसैन और कर्बला में शहीद उनके 72 साथियों को याद करते हैं। इस दौरान कई इबादतगाहो में आग का मातम, सिनाज़नी और कमा छुरी का भी मातम होता है। सोगवार अलग-अलग तरीके से अपने ग़म का इजहार करते है। 9 अगस्त को यौमे आशूरा यानी 10 मोहर्रम का दिन होगा इसी दिन इमाम हुसैन की कर्बला में शहादत हुई थी।

कोरोना काल के बाद खुल कर मना सकेंगे

मोहर्रम कोरोना जैसी भयंकर महामारी ने देश और दुनिया की रफ्तार रोक दी थी। कोविड-19 ने जहां सभी तीज त्योहार पर असर डाला था वहीं ग़म के इस महीने पर भी महामारी ने गहरा प्रकोप छोड़ा था। कोरोना के चलते पिछले 2 वर्षों से भीड़भाड़ वाले सभी कार्यक्रमों पर रोक लगी हुई थी। लेकिन इस बार बिना किसी बंदिश के अज़ादार इमाम का ग़म खुल कर मना सकेंगे।

लखनऊ में होंगे यह कार्यक्रम

पहली मुहर्रम शाम 5 बजे आसिफी इमामबाड़े से शाही ज़रीह का जुसलू छोटे इमामबाड़े तक निकाला जायगा। दूसरी मुहर्रम कर्बला दियानुतदौला आमद-ए-क़ाफ़िला हुसैनज शाम 4 बजे निकाला जायगा। चौथी मुहर्रम रात 8 बजे हसन कालोनी दौलतगंज औन व मोहम्मद के ताबूत की ज़ियारत होगी। पाँचवीं मुहर्रम कर्बला मुंशी फ़ज़ले हुसैनी औन व मोहम्मद के ताबूत की ज़ियारत। शाम 4 बजे, रात 9 बजे इमामबाड़ा शाहनजाफ़ में आग पर मातम। 9 बजे काश्मीरी मोहल्ला में आग पर मातम। 6 मुहर्रम 1.30 बजे इमामबाड़ा गुफरानमॉब यौमे अली असग़र अलैहिस्सलाम. शाम 7.30 जुमा मस्जिद झूले की ज़ियारत. रात 8 आसिफी इमामबाड़ा आग पर मातम. सातवीं मुहर्रम दोपहर 2 बजे काश्मीरी मोहल्ला हज़रत क़ासिम की मेहन्दी. 3 मुहर्रम रात 9 बजे इमामबाड़ा गुफरानमॉब यौम-ए-ख़्वातीन-ए-कर्बला 20 मुहर्रम रात 9 बजे कर्बला पुत्तन साहब आग पर मातम. 25 मुहर्रम रात 8.30 बजे इमामबाड़ा अमीर महल बीमार-ए-कर्बला का मातम.

क्यों मनाया जाता है मोहर्रम

जुल्मी ज़्यादती के ख़िलाफ़, सच्चाई, दीन और इंसानियत की हिमायत में आवाज़ बुलंद करने वाले तकरीबन 1400 साल पहले हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को कर्बला की जमीन पर 3 दिन का भूखा प्यासा रखकर शहीद कर दिया गया था। शहीद होने वालों में इमाम हुसैन के भाई रिश्तेदार जवान बेटे और 6 माह के मासूम अली असगर भी शामिल थे।

इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान से यह पैगाम दिया था कि इस्लाम इंसानियत, बंदगी, दोस्ती, दूसरों की ख़िदमत, कमज़ोरों की मदद, मज़लूमों की तरफ़दारी, ज़ुल्म से नफ़रत, समाज में अम्न और शांति बनाए रखी जाए। इसीलिए आज तक मोहर्रम में पूरी दुनिया में इमाम हुसैन को इंसानियत के लिए याद किया जाता है। इमाम हुसैन के चाहने वाले सिर्फ मुस्लिम समुदाय में ही नहीं बल्कि तमाम गैर मज़हबों में भी बड़ी तादाद में शामिल है।

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