लखनऊ : सफेद हाथी साबित हो रही बलरामपुर अस्पताल की एमआरआई बिल्डिंग !

जिस जांच के लिए मरीज को दो से ढाई हजार रुपये देने पड़ते थे अब वही जांच बाहर कराने पर 5000 से लेकर 7000 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे

बलरामपुर अस्पताल ( hospital ) में पिछले तीन साल से एमआरआई मशीन नहीं लगाई जा सकी है। जबकि 90 लाख की लगत से एमआरआई भवन कर खड़ा है। जिसका नतीजा यह है कि जिस जांच के लिए मरीज को दो से ढाई हजार रुपये देने पड़ते थे अब वही जांच बाहर कराने पर 5000 से लेकर 7000 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं।

सरकारी अस्पताल में भी इलाज करवाने के लिए मरीजों के परिजनों को जमीन तक गिरवी रखनी पड़ रही है। वहीं जिम्मेदार हैं कि पिछले तीन साल से एमआरआई मशीन को लगाने को लेकर तारीख पर तारीख देते आ रहे हैं। गौरतलब है कि 2019 में अस्पताल के 150 स्थापना दिवस के मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ अस्पताल को उपहार में दी थी।

एक्सरे टेक्नीशियन को दी जा चुकी है ट्रेनिंग

अस्पताल प्रशासन की तरफ एमआरआई मशीन चलाने के लिए तीन एक्सरे टेक्नीशियन को डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्वेदिक संस्थान में तीन महीने की ट्रेनिंग दी गई थी। वही उन्हें ट्रेनिंग लिए अब तीन साल से ज्यादा हो रहा है।

रोज़ाना 30 से ज्यादा मरीजो को होती है जरूरत

बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में आ रहे मरीजो में रोज करीब 30 मरीजों को एमआरआई जांच करवाने की जरूरत होती है। अस्पताल में जांच न होने के कारण मरीजों को निजी पैथालॉजी भेजा जाता है। जहां 5 हजार से ज्यादा का खर्च कर मरीज जांच करवाने को मजबूर है। वहीं केजीएमयू और लोहिया में एमआरआई जांच होती है, लेकिन इसमें लंबी वेटिंग रहती है।

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