रामायण पढ़कर जगी माँ के लिए मोहबत्त ,शरीर की चमड़ी से बनवाई चप्पलें !

एक हिस्ट्रीशीटर का जीवन रामायण ने बदल दिया मां के खातिर एक शख्स ने अपने शरीर की चमड़ी निकलवा कर आदर स्वरूप अपनी मां के लिए चप्पल बनवाई है।

महाकाल की नगरी उज्जैन से अनोखा मामला सामने आया है ,यहां एक हिस्ट्रीशीटर का जीवन रामायण ने बदल दिया ,जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है जहा मां के प्रेम के खातिर एक शख्स ने अपने शरीर की चमड़ी निकलवा कर आदर स्वरूप अपनी मां के लिए चप्पल बनवाई है। इससे भी खास बात ये है कि अपनी मां के प्रति प्रेम की सच्ची भावना शख्स के दिल में रामायण पढ़कर जागी है।

रामायण पढ़कर अपराधी का बदला ऐसा जीवन, शरीर से चमड़ी निकालकर अपनी मां के लिए  बनवाई चप्पलें | After reading Ramayana criminal change life remove his skin  for mother slippers ...

एक नया संदेश देते हुए मां को अनोखा उपहार

दरअसल, संदीपनीनगर, ढांचा भवन पुरानी टंकी के पास अखाड़ा ग्राउंड परिसर में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन 14 से 21 मार्च तक किया गया। कथावाचक परम पूज्य अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक गुरु श्री जितेंद्र जी महाराज के मार्गदर्शन में धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। कथा के अंतिम दिन रौनक ने समाज को एक नया संदेश देते हुए मां को अनोखा उपहार दिया।

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इस संसार में मां से बड़ा कुछ नहीं

एक और खास बात ये है कि मां के लिए ऐसा प्रेम और श्रद्धा दिखाने वाला शख्स कोई और नहीं, बल्कि उज्जैन का रहने वाला रौनक गुर्जर है। अपराध जगत में रौनक का बड़ा नाम रहा है। साल 2019 में हुए पुलिस एनकाउंटर में उसके पैर में गोली लग गई थी, जिसके बाद से वो चल फिर नहीं पा रहा था। ऐसे में उसने रामायण पढ़ना शुरु की, जिसने देखते ही देखते उसका जीवन बदलकर रख दिया। बतादे रामायण पढ़कर उसे मेहसूस हुआ कि इस संसार में मां से बड़ा कुछ नहीं है। वही लोग अब रौनक गुर्जर को आज के युग के श्रावण कुमार बता रहे है।

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आज मेरी मां ने मुझे माफ कर दिया

रौनक ने बताया कि जाने-अनजाने में मैंने ऐसे कई अपराध किए हैं, जिससे मां के दिल को ठेस पहुंची है। उन सब का प्रायश्चित कर रहा हूं। मैं अपराध की दुनिया को सालों पहले छोड़ चुका हूं, लेकिन मां से कभी आंख नहीं मिला पाया। मुझे सभी गलत ही मानते थे। मुझे आज मां से सुनने को मिला कि ‘तेरा वनवास खत्म हुआ’। आज मेरी मां ने मुझे माफ कर दिया।

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