केशव प्रसाद मौर्य की बढ़ सकती है मुश्किलें, हाईकोर्ट ने रिजर्व रखा फैसला

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ डाली याचिका में कहा गया कि उनका यह बयान संवैधानिक पद की गरिमा और सरकार की पारदर्शिता और शुचिता पर सवालिया निशान खड़े करता है।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा संगठन को सरकार से बड़ा बताए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज बुधवार (7 अगस्त) को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद अपना जजमेंट रिजर्व किया है, हाईकोर्ट ने केवल याची की बहस सुन आदेश देने की बात कही है. वहीं कोर्ट ने सरकार के पक्ष को सुनने की जरूरत अभी नहीं समझी है.

अब जनहित याचिका की पोषणीयता पर आ सकता है अदालत का फैसला. चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. अधिवक्ता मंजेश कुमार यादव की ओर से दाखिल की गई थी यह जनहित याचिका. इस जनहित याचिका में कहा गया है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने संवैधानिक पद पर रहते हुए गत 14 जुलाई को सार्वजनिक तौर पर एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार से बड़ा पार्टी का संगठन होता है.

याचिका में आपराधिक मुकदमों का भी जिक्र

इस याचिका में कहा गया कि उनका यह बयान संवैधानिक पद की गरिमा और सरकार की पारदर्शिता और शुचिता पर सवालिया निशान खड़े करता है. इस बयान का न अब तक बीजेपी ने खंडन किया और न ही राज्यपाल और चुनाव आयोग ने ही कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इसलिए यह अपने आप में बेहद गंभीर मामला है. याची अधिवक्ता ने याचिका में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों का भी जिक्र किया है.

यूपी की सियासी हलचल तेज

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद ही यूपी की सियासी हलचल तेज है. माना जा रहा है कि यूपी में सीएम और डिप्टी सीएम के बीच अभी सबकुछ ठीक नहीं है. हालांकि अभी दोनों तरफ से इस मामले को लेकर ऑफिशियल बयान किसी का भी सामने नहीं आया है।

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