Kanvad Yatra: शिव भक्तों के रास्ते से कांटे हटाएंगे योगी

DJ की धुन पर नाचते हुए यात्रा कर सकेंगे कांवड़िये, मीट की दुकाने होंगी बंद !

2 साल के वनवास के बाद एक बार फिर शिव भक्त गंगा जल लेकर भोले का चरणों में जाने के लिए तैयार है। उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का शिव भक्त प्रेम हम पिछले साल कोरोना के दौरान भी देख चुके है जब वो कांवड़ यात्रा(Kanvad Yatra) के लिए सुप्रीम कोर्ट और केंद्र की मोदी सरकार से भी भीड़ गए थे।

14 जुलाई से शुरू होने वाली और एक पखवाड़े तक चलने वाली कांवड़ यात्रा(Kanvad Yatra) के लिए मुख्यमंत्री ने कांवड़ यात्रियों के लिए हर वो इंतजाम किये है जिससे शिव भक्तों को कोई भी परेशानी न उठानी पड़े।

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भक्तों के लिए प्रबंध-

→ यात्रा के रास्ते को पूरी तरह से साफ़ किया जाएगा ताकि कांवड़ियों को कोई कष्ट न उठाना और वो भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर कांवड़ यात्रा को संपन्न करें।

→  कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों के स्वास्थ्य से जुडी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

→ जिस रस्ते से शिव भक्त गुजरेंगे उन रास्तों में लाइट की पूरी तरह से व्यवस्था की जाएगी ताकि में यात्रा करते समय किसी भी प्रकार की मुश्किलों का सामना न करने पड़े।

→  शिव भक्त यात्रा के दौरान DJ भी लेकर जा सकते है क्योंकि मुख्यमंत्री का मन्ना है की यात्रा हंसी खुसी और जश्न में होनी चाहिए।

→ मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए है की कांवड़ यात्रा के रस्ते में जो भी मीट की दुकाने होंगी उनको बंद कराया जाएगा जिसको लेकर प्रसाशन अभी से जुट गया है और मांस व्यापारी भी सहयोग करने को तैयार है.

→  यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार के अवस्था को रोकने के लिए अधिक पुलिस बल भी तैनात कर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये जाएंगे।

गौरतलब है की जबसे सूबे के मुखिया ने 2017 में यूपी की कमान संभाली है तबसे शिवभक्तों पर उनका ख़ास प्रेम झलकता रहता है चाहे वो कांवड़ यात्रियों(Kanvad Yatra) पर हेलीकाप्टर से फूल बरसाना हो या फिर 2021 में कांवड़ यात्रा के लिए मोदी से भीड़ जाना हो. कांवड़ यात्रा और शिवभक्तों पर हमेशा योगी आदित्यनाथ अपना प्रेम जाहिर करते रहते है।

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कांवड़ यात्रा का इतिहास –

हिंदू ग्रंथों में सबसे पहले त्रेता युग में इस यात्रा का वर्णन किया गया है. जब श्रवण कुमार अपने माता-पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए कांवड़ यात्रा पर निकले थे. उन्होंने अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार की यात्रा की थी. उन्होंने वहां जाकर गंगा में स्नान किया और वापस लौटते समय गंगाजल लेकर आए और पवित्र शिवलिंग को अर्पित किया.

तभी से कांवड़ यात्रा की परंपरा प्रचलित है. इसके साथ कुछ लोग यह भी मानते हैं कि भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर धाम में से गंगाजल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाया था जिसके बाद कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी.

Written By- आदर्श

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