Monkeypox: कुछ इस तरह प्रदेश भर में फैलाएं मंकीपोक्स ने पाँव, जानिए पूरी वजह !
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से परेशान भारतीय एवं अन्य देश के लोगों का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है इस बीच एक और महामारी मंकीपाक्स का कहर का पुरे प्रदेश में फैला हुआ है।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से परेशान भारतीय एवं अन्य देश के लोगों का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है इस बीच एक और महामारी मंकीपाक्स का कहर का पुरे प्रदेश में फैला हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को मंकीपाक्स के प्रकोप को अब वैश्विक आपातकाल घोषित कर दिया है।
WHO (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपाक्स दुनिया के 70 से अधिक देशों में फैल चुका है। आपको बता दें कि इस साल अब तक मंकीपाक्स के 14,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन्स
मंकीपाक्स के इस बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare)ने गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिसके मुताबिक जिन लोगों में मंकीपाक्स के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उसकी सूचना वो अपने राज्य व यूटी के स्वास्थ्य विभाग (State and UT health departments) को देने और ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखने को कहा गया है।
केरल के बाद दिल्ली में भी सामने आ रहे मामले
केरल के बाद दिल्ली में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहें हैं और इस वायरस की कोई वैक्सीन भी अभी मौजूद नहीं है। बताया जा रहा है, सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही मरीज का इलाज होता है।
आपको बता दें कि ये वायरस इंसानों में भी तेजी से फैलता है और इन्कयूबेशन पीरियड भी 21 दिन तक को हो सकता है। अभी तक मंकीपॉक्स की कोई वैक्सीन भी नहीं है।
क्या है मंकीपॉक्स ?
मंकीपॉक्स, मंकीपॉक्स वायरस के कारण होने वाली बीमारी है। यह एक वायरल जूनोटिक इंफेक्शन है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है।
इस वायरस को ‘मंकीपॉक्स’ क्यों कहा जाता है?
इस बीमारी को मंकीपॉक्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी पहचान पहली बार 1958 में अनुसंधान के लिए रखी गई बंदरों की कॉलोनियों में हुई थी। आपको बता दें कि बाद में मनुष्यों में इसका पता 1970 में चला।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स और चेचक के लक्षण समान हैं बताये जा रहें हैं , सामान्य तौर पर संक्रमित व्यक्तियों और बच्चों में बेचैनी, बुखार, चकत्ते, सूजन लिम्फ नोड्स और ठंड लगने के लक्षण नजर आते हैं।
1- रैशेज- मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के दूसरे या तीसरे दिन चकत्ते दिखाई देते हैं और सबसे पहले चेहरे पर चकत्ते दिखाई देते हैं। इसके बाद ये हाथों, हथेलियों और पैरों तक फैल जाते हैं। बता दें कि चकत्तों में कुछ पानी जैसा होने लगता है।
2- बुखार- मंकीपॉक्स होने पर बच्चों को बुखार का खतरा ज्यादा रहता है। अगर बच्चे को बुखार है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
मंकीपॉक्स के संक्रमण से कैसे बचें ?
1- बंदरों और चूहा-गिलहरी जैसे जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
2- ऐसी जगह न लेकर जाएं जहां मरे हुए जानवर हों।
3- अगर नॉनवेज खाते हैं तो पूरी तरह से पका हुआ नॉनवेज ही खायें।
4- अगर कोई व्यक्ति संक्रमित है तो बच्चे को उसके संपर्क में आने से बचें।
5- Dettol Hand Wash या साबुन और गरम पानी से हाथ धोएं।