बंगाल में बेटे से ज्यादा माँ ने किया नाम रौशन जानिये कैसे !

आज के समय में व्यक्ति अपने सपने पूरे करने के लिए खूब पड़ता है लेकिन किसी को कामयाबी हासिल हो जाती है तो किसी को नहीं हो पाती। ये निर्भर सिर्फ मेहनत पर करता है और कहते है

आज के समय में व्यक्ति अपने सपने पूरे करने के लिए खूब पड़ता है लेकिन किसी को कामयाबी हासिल हो जाती है तो किसी को नहीं हो पाती। ये निर्भर सिर्फ मेहनत पर करता है और कहते है की पड़ने लिखने की उम्र कभी ख़तम नहीं होती है लेकिन अगर बात की जाए आज के समय की तो आज के युवा पड़ने में काम मोबाइल चलने में ज्यादा रूचि दिखते है इसीलिए उनका भविष्य उज्वल नहीं होता। लेकिन बंगाल की एक माँ और उनके बच्चे १२वी के एग्जाम में सबके होश उड़ा दिए दरअसल लोगों में अगर सीखने की लालसा रहे, तो वे क्या कुछ नहीं कर सकते हैं।

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पड़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती

ऐसा ही एक उदाहरण बंगाल के एक मां-बेटे ने पेश किया है। राज्य में एक साथ उच्च माध्यमिक (12वीं) की परीक्षा देने वाले मां-बेटे, दोनों उत्तीर्ण हुए हैं। 38 साल की हो चुकीं लतिका मंडल ने बेटे से ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं। हालांकि, उन्हें इसकी खुशी नहीं बल्कि दुख है। लतिका मंडल ने कहा कि बेटे को उनसे ज्यादा अंक  मिलते तो वह ज्यादा खुश होती। दूसरी तरफ, बेटे सौरव का कहना है कि अपनी मां से कम अंक लाकर भी खुश है, क्योंकि हारकर भी जीत उसी की हुई है।

बंगाल में 12वीं में 38 साल की मां ने बेटे को पछाड़ा, लतिका मंडल को सौरव से मिले अधिक अंक; पेश की मिसाल

बंगाल के माँ बेटे ने किया नाम रोशन

बता दें कि लतिका की नदिया जिले के शांतिपुर के नृसिंहपुर इलाके के रहने वाले दिहाड़ी मजदूर असीम मंडल से करीब 20 साल पहले शादी हुई थी। उसके बाद वह आगे पढ़ नहीं पाईं। हालांकि, मन के किसी कोने में पढ़ाई की आस जीवित थी। बेटे ने उन्हें फिर से पढ़ाई के लिए उत्साहित  किया। इसके बाद, लतिका ने रवींद्र मुक्त विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वहां से 2020 में माध्यमिक परीक्षा दी और अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण भी हुईं। अगले साल उन्होंने नृसिंहपुर हाई स्कूल में कला विभाग में 11वीं कक्षा में दाखिला लिया और इस साल बेटे के साथ परीक्षा दी। लतिका को परीक्षा में 324 और बेटे सौरव को 284 अंक मिले हैं। लतिका आगे ग्रेजुएशन करना चाहती हैं।

 

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