अवैध यजदान अपार्टमेंट पर चला हथौड़ा, न्यायालय में एलडीए आज देगा जवाब !

हजरतगंज स्थित प्राग नारायण रोड पर 2800 वर्गमीटर क्षेत्रफल में नजूल की जमीन पर एलडीए के अफसरों व इंजीनियरों के सांठ गांठ से बने यजदान अपार्टमेंट पर करीब आठ महीने बाद सोमवार को हथौड़ा चला।

हजरतगंज स्थित प्राग नारायण रोड पर 2800 वर्गमीटर क्षेत्रफल में नजूल की जमीन पर एलडीए के अफसरों व इंजीनियरों के सांठ गांठ से बने यजदान अपार्टमेंट पर करीब आठ महीने बाद सोमवार को हथौड़ा चला। एलडीए ने 40 लाख में मुंबई की एक्सपर्ट कंपनी को इसे ध्वस्त करने का ठेका दिया है। वहीं जिस सपने के आशियाने को खरीदने के लिए 38 लोगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी लगा दी, उनके सामने जब हथौड़ा चला तो आंखें नम हो गईं। हालांकि शाम को न्यायालय ने एलडीए से यजदान अपार्टमेंट को गिराने को लेकर जवाब मांगा गया है। इस पर अब मंगलवार सुबह एलडीए न्यायालय में अपना पक्ष रखेगा। वहीं, यजदान अपार्टमेंट को बनवाने में एलडीए के जिन अफसरों और इंजीनियरों का हाथ है, उनके खिलाफ कार्रवाई की फाइल ही गायब हो गई है।

मालिक के परिवारीजन व फ्लैट खरीदारों ने इसका विरोध किया

सोमवार सुबह 11 बजे कंपनी के 50 मजदूरों ने जोन छह के जोनल प्राधिकारी (प्रवर्तन) राम शंकर के नेतृत्व में छठे तल से छेनी-हथौड़े से अपार्टमेंट तोडऩा शुरू किया। अपार्टमेंट के मालिक के परिवारीजन व फ्लैट खरीदारों ने इसका विरोध किया, लेकिन पुलिस ने सबको खदेड़ दिया। अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने कार्रवाई का मौका मुआयना किया। एलडीए ने यजदान अपार्टमेंट तोडऩे के लिए टेंडर से चुनी गई कंपनी को एक माह की मोहलत दी है। इसके कामगार छेनी-हथौड़े से छठा व पांचवां तल तोडऩे के बाद फिर नीचे से पिलर काटकर पूूरे अपार्टमेंट को गिरा देंगे।

एलडीए के कई अभियंताओं की छत्रछाया में यजदान अपार्टमेंट खड़ा हुआ। इसमें कई सचिव एवं उपाध्यक्ष तक की सरपरस्ती रही है। इसकी आधारशिला पडऩे से लेकर छह तल तक बन जाने के दौरान पूर्व विहित अधिकारी जहूीरुद्दीन एवं कमलजीत सिंह, सहायक अभियंता इस्माइल, जेई रवींद्र श्रीवास्तव, जहूर आलम, एनएस साख्या, संजय जिंदल, जितेंद्र कुमार दुबे, सुशील वर्मा तैनात रहे। इनमें जेई रवींद्र श्रीवास्तव एवं जितेंद्र कुमार दुबे लिवाना सुइट्स अग्निकांड में निलंबित हो चुके हैं।

मिलीभगत से रात दिन निर्माण होता रहा

यजदान बिल्डर्स ने नजूल की जमीन पर पहले पांच मंजिला अपार्टमेंट बनाने का मानचित्र एलडीए से पास कराया। इसके बाद वर्ष 2017 में अपने इस प्रोजेक्ट को यूपी रेरा में पंजीकृत करा लिया। रेरा में पंजीकरण होने के बाद अपार्टमेंट पांच की जगह छह मंजिला बन गया। इसके 48 फ्लैटों को 40 से 46 लाख रुपये में बेचा गया। नजूल भूमि की एनओसी प्राप्त किए बिना ही वर्ष 2015 में यजदान अपार्टमेंट का निर्माण शुरू कर दिया गया था। वर्ष 2016 में लविप्रा ने नोटिस भेजकर इस अपार्टमेंट को सील करा दिया।

बिल्डर ने जब 2017 में प्रोजेक्ट को रेरा में पंजीकृत कराया उसी समय लविप्रा ने शमन मानचित्र के 75 लाख रुपये जमा करवा लिया। वर्ष 2019 में यजदान अपार्टमेंट को गिराने के आदेश दिए गए। आदेश के बावजूद तत्कालीन अधिशासी अभियंता और अवर अभियंता की मिलीभगत से रात दिन निर्माण होता रहा। बिल्डर ने 38 लोगों से पूरा पैसा जमा कराकर उनकी रजिस्ट्री भी कर दी। बीती 30 मार्च को एलडीए ने अपार्टमेंट के कुछ हिस्से को गिरा दिया था।

38 लोगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी लगा दी

यजदान अपार्टमेंट बनने के समय ओपी मिश्र अधिशासी अभियंता थे, जबकि उनके बाद जहीरुद्दीन और फिर कमलजीत सिंह इस पद पर तैनात रहे। सहायक अभियंता के पद पर रहते हुए एके सिंह के पास प्रवर्तन इंचार्ज की जिम्मेदारी थी। प्रवर्तन बनने से पहले लविप्रा में थानावार व्यवस्था थी। अवर अभियंता सुशील वर्मा और जेएन दुबे के समय यजदान अपार्टमेंट बनकर तैयार हुआ। जेएन दुबे को होटल लेवाना सुईट्स अग्निकांड का दोषी मानते हुए हटाया गया था।

जिस सपने के आशियाने को खरीदने के लिए 38 लोगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी लगा दी, उनके सामने जब हथौड़ा चला तो आंखें नम हो गईं। इस अपार्टमेंट में फैजल ने भी 90 लाख रुपये लगाकर दो फ्लैट खरीदे थे। उनके साथ अन्य आवंटी एलडीए उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि यूपी रेरा पर भरोसा कर उन्होंने फ्लैट खरीदा था। एलडीए के दोषी अफसरों और इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई ही नहीं हुई।

बिल्डर से जमीन कीमत वसूल कर खरीदारों को राहत

एलडीए उपाध्यक्ष ने खरीदारों के सामने यूपी रेरा के सचिव को फोन कर बिल्डर से उनकी जमा पूंजी वापस दिलाने को कहा। वहीं उपाध्यक्ष ने कहा कि उनकी पहले आओ पहले पाओ योजना के खाली फ्लैटों को वह पसंद कर लें। जब बिल्डर से उनका रुपया मिल जाएगा तो वह एलडीए को जमा कर फ्लैट प्राप्त कर सकते हैं। अभी पांच साल में इन फ्लैटों की अदायगी करनी होती है। यजदान के खरीदारों के लिए यह समय सीमा भी बढ़ायी जा सकती है।

लालबाग के ओल्ड भोपाल हाउस निवासी शायम यजदानी बिल्डर के छह तल के इस अपार्टमेंट में 48 फ्लैट हैं। इनमें से 36 बिक चुके हैं और रजिस्ट्री भी हो चुकी है। अपार्टमेंट को जमींदोज किए जाने से इनके करीब 20 करोड़ रुपये डूब गए हैं।यजदान अपार्टमेंट के चौथे तल पर अमीनाबाद के कारोबारी जुबैर ने 44 लाख रुपये का फ्लैट खरीदा था। बताया कि वह इसकी रजिस्ट्री भी करवा चुके हैं। एलडीए ने खरीदारों का पक्ष दरकिनार करके अपार्टमेंट गिराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐसे में जुबैर का सवाल था कि उनके 50 लाख रुपये की भरपाई कैसे होगी?

कैंट निवासी सुनीता गुप्ता भी अपार्टमेंट के दूसरे तल पर लगभग 50 लाख रुपये का फ्लैट खरीदकर रजिस्ट्री करवा चुकी हैं। उनकी बेटी ने कहा कि एलडीए अपार्टमेंट को गिराने के बजाय बिल्डर से जमीन कीमत वसूल कर खरीदारों को राहत दे सकता था। कार्रवाई से सबसे ज्यादा नुकसान तो खरीदारों को ही हुुआ है।

 

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