#Bank Loan: अगर आपने लोन लिया है तो हो जाइये सावधान, बैंक आपकी संपत्ति पर कर सकती है कब्ज़ा !

आज हर चीज लोन पर निर्भर है, चाहे वह बिजनेस (Business) के लिये हो, शिक्षा हो, घर हो, कार हो या शादी हो सभी के लिए लोन ले सकते हैं।

आज हर चीज लोन पर निर्भर है, चाहे वह बिजनेस (Business) के लिये हो, शिक्षा हो, घर हो, कार हो या शादी हो सभी के लिए लोन ले सकते हैं। आपको बता दें कि लोन कई प्रकार के होते हैं। ऑटो लोन, पर्सनल लोन, होम लोन, बिजनेस लोन, एजुकेशन लोन (Auto Loan, Personal Loan, Home Loan, Business Loan, Education Loan) आदि उपलब्‍ध करवाते हैं। आप सबको पता है कि लोन को पूरा चुकाने के बाद ही आप कर्ज से मुक्‍त होते हैं। जी नहीं ये आप लोगों की गलतफहमी है।

बता दें कि यदि कर्ज लेने वाले व्‍यक्ति की अचानक मृत्‍यु हो जाती है तो उसका कर्ज भी माफ हो जाता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है, कर्जदार की मृत्यु (Death of Debtor) के बाद बकाया रकम मृतक के उत्तराधिकारी को विरासित (Inherit to Heir) में मिली संपत्ति में से चुकानी पड़ती है।

बैंक ने कानूनी वारिसों को दिये विकल्प

आपको बता दें कि पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहक की अगर मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में बैंक उधारकर्ता की मृत्यु के बाद, बीमाकर्ता बैंक को ऋण वापस कर देता है। ऐस में यदि कोई और बीमा नहीं है, तो बैंक कानूनी वारिसों को दो विकल्प देता है। वे चाहें तो ‘वन टाइम सेटलमेंट’ (one time settlement) कर सकते हैं या अपने नाम पर लोन ट्रांसफर कर सकते हैं। जिसे वो बाद में भी चुका सकते हैं।

इस सिलसिले में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि मृतक का कानूनी वारिस बकाया लोन चुकाने में अगर असमर्थ है, तो बैंक मृतक की संपत्ति पर कब्ज़ा कर सकता है। उसे बेचकर बकाया पूरा कर सकता है। ऐसे में शेष राशि ‘उत्तराधिकारी को सौंप’ (Hand over to Successor) दी जाती है। यदि लोन सह-आवेदक (Co-Applicant) के साथ लिया गया है तो कर्जदार की मृत्यु के बाद सह-आवेदक की जिम्‍मेदारी होती है कि वो पूरा लोन अदा करे।

प्रीमियम बिजनेस’ पर वसूला लोन

आपको बता दें कि बिजनेस लोन के समय बैंक उसी समय ये सुनिश्चित कर लेता है कि लोन लेने वाले की मृत्यु के बाद बिजनेस लोन का बकाया राशि कौन चुकाएगा। बैंक इस बात का ध्यान रखते हुये बिजनेस लोन का पहले ही इंश्योरेंस कवर ले लेती है।

ऐसे में ‘प्रीमियम बिजनेस’ (Premium Business) लोन लेने वाले व्यक्ति से पहले ही वसूल लिया जाता है। कर्जदार की मृत्यु के बाद बैंक डायरेक्‍ट इंश्योरेंस कंपनी से बची हुई रकम वसूल लेता है।

 

 

 

 

 

 

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