# गाली तेरी गजब कहानी : बात-बात पर गाली देने वालों में दर्द सहने की क्षमता अधिक !
ऐसा माना जाता है कि आपकी छवि जितनी बड़ी होगी, आप गाली देने वालों से उतना ही दूर रहेंगे, लेकिन यह उस परंपरा से निर्धारित होगा जहां आप पले-बढ़े
गाली वो शब्द जिसका इस्तेमाल शायद ही किसी सांस्कारिक, संवैधानिक व अच्छी जगहों पर किया जाता होगा। लेकिन फिर भी इसके बारे में शायद ही कोई जानता न होगा।
छात्रों के दो समूह बनाए
रिचर्ड स्टीफंस ने अपने शोध से एक और दिलचस्प खोज की, उन्होंने छात्रों के दो समूह बनाए। एक में गाली देने वालों को रखा गया और दूसरे में इससे दूर रहने वालों को। उन्होंने दोनों गुटों के छात्रों से ठंडे पानी में हाथ डालने को कहा। जिन छात्रों ने गाली गलौज कर काफी देर तक ठंडे पानी में हाथ डाला। दूसरे गुट ने इसे ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं किया। यह भी निश्चित है कि दुर्व्यवहार के बारे में आप कितना राहत महसूस करते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप दुर्व्यवहार के बारे में कितना बुरा महसूस करते हैं।
कन्हैया गोपियों को चिढ़ाते थे
यह कहना मुश्किल है कि गाली-गलौज कब शुरू हुई। वैदिक काल में स्त्री और पुरुष को समान दर्जा प्राप्त था। संस्कृत, पाली, प्राकृत में कंजूस, मूर्ख, दुष्ट जैसे शब्द ही मिलते हैं। कहा जाता है कि ब्रज क्षेत्र में गाली-गलौज शुरू हो गई। कन्हैया गोपियों को चिढ़ाते थे और गोपियां उन्हें गालियां देती थीं। लेकिन इसे कल्पना के रूप में लिया जा सकता है। सामान्यता समाज में महिलाओं की स्थिति धीरे-धीरे कम होती गई। धीरे-धीरे यह प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया। पुरुषों की संपत्ति, परिवार में सबसे कमजोर रक्त रेखा, द्वितीय श्रेणी के नागरिक और इसलिए हमले के लिए सबसे आसान लक्ष्य। दो लोग आपस में लड़ रहे हैं तो गाली-गलौज सिर्फ बहन-बेटी और मां को ही दी जाती है। क्योंकि यहीं पर सबसे ज्यादा चोटें आती हैं।
आप गाली देने वालों से उतना ही दूर रहेंगे
कुल मिलाकर व्यक्तित्व, समाज, आपके पूरे अस्तित्व को परिभाषित करने की क्षमता का हिस्सा हैं। ऐसा माना जाता है कि आपकी छवि जितनी बड़ी होगी, आप गाली देने वालों से उतना ही दूर रहेंगे। लेकिन यह आपके परिवेश और उस परंपरा से निर्धारित होगा जहां आप पले-बढ़े हैं।