भारत के ऊपर विदेशी कर्ज 8. 2 बढ़ा, हो गया इतना……

एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार ये कह रही आने वाले समय 'भारत' विकाश के मामले दुनिया के कई देशों को पछाड़ कर विश्वगुरु बनकर पूरी दुनिया....

एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार ये कह रही आने वाले समय ‘भारत’ विकाश के मामले दुनिया के कई देशों को पछाड़ कर विश्वगुरु बनकर पूरी दुनिया का नेतृत्व करेगा।

लेकिन एक बात हमारे समझ में नहीं आती है कि आखिर जो देश लगातार विदेशी कर्जो के तले दब रहा हो। वो देश कैसे कैसे पूरी दुनियाँ का नेतृत्व करेगा। हम ये बाते ऐसे ही नहीं कर रहें है। इस समय भारत का विदेशी कर्ज 8. 2 % से बढ़कर 620. 7 अरब डॉलर हो गया है। अगले साल के पुराने कर्जे से बढकर इस साल विदेशी कर्ज 8 . २ % बढ़ गया है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक देश का विदेशी कर्ज 53. 2 % हिस्सा अमेरिका डॉलर के रूप में है। जबकि भारतीय रुपये में भारत सरकार का देय कर्ज सिर्फ 31. 2% ही है। वित्त मंत्रालय के हिसाब ये कर्ज कोई बहुत बड़ा नहीं है।

प्रवासी भारतीयों की जमा राशि घटी

एक साल पहले की तुलना में सॉवरेन ऋण(sovereign loan) 17.1 प्रतिशत बढ़कर 130.7 अरब डॉलर हो गया जबकि गैर-सॉवरेन ऋण(non-sovereign loan) 6.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 490.0 अरब डॉलर रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी भारतीयों की जमा राशि दो प्रतिशत घटकर 139.0 अरब डॉलर रह गई जबकि वाणिज्यिक उधारी(commercial credit) 5.7 प्रतिशत बढ़कर 209.71 अरब डॉलर और अल्पावधि का व्यापार ऋण(business loan) 20.5 प्रतिशत बढ़कर 117.4 अरब डॉलर रहा।

हम भी मानते है कि ये कर्ज कोई बहुत बड़ी नहीं है लेकिन लगातार अगर किसी देश का विदेशी कर्ज बढ़ रहा हो तो देश के अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। अभी फीलहाल  ही में हमारे पडोसी देश श्रीलंका(Sri Lanka) कैसे कंगाली जुझ रहा है किसी से छिपा नहीं है। इस लिए समय रहते ही हमे सतर्कता के साथ देश की अर्थव्यवस्था का ध्यान रखना होगा।

 

 

 

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