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दिल्ली HC ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को लेकर केंद्र सरकार के पक्ष में सुनाया फैसला !

केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र

केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने रक्षा सेवाओं में पिछली भर्ती योजना के अनुसार बहाली और नामांकन की मांग वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा, “इस अदालत को योजना में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला।” साथ ही अदालत का कहना रहा कि इस योजना को लाने का मकसद हमारी सेना को बेहतर तरीके से तैयार करना है और यह देश हित में है। वहीं, जो लोग पुरानी नीति के आधार पर इस नियुक्ति की मांग कर रहे थे।

योजना के नियमों के अनुसार,

अदालत ने पिछले साल 15 दिसंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और पक्षकारों को 23 दिसंबर तक अदालत में शीतकालीन अवकाश winter vacation शुरू होने से पहले अपनी लिखित दलीलें दाखिल  written arguments करने को कहा था।आज दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने याचिकाओं पर फैसला सुनाया.

वहीं, केंद्र ने अपना तर्क देते हुए कहा कि अग्निपथ योजना रक्षा भर्ती में सबसे बड़े नीतिगत बदलावों में से एक है। इस योजना के नियमों के अनुसार, 17 से 21 वर्ष के बीच के लोग इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। इन्हें चार साल के लिए सेना में शामिल किया जाएगा।

उम्मीदवार चार साल बाद हो जाएंगे बेरोजगार ?

आपको बताते चले दरअसल देश के अलग-अलग हिस्सों में अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गईं याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि शेष 75 प्रतिशत उम्मीदवार चार साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे और उनके लिए कोई योजना नहीं है। याचिकाकर्ताओं में से एक ने 12 दिसंबर को दलील दी थी- छह महीने में मुझे शारीरिक सहनशक्ति विकसित करनी है और हथियार चलाना सीखना है। छह महीने का समय बहुत कम होता है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने जा रहे हैं।

 

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