छिंदवाड़ा महापौर विक्रम ने छोड़ा ‘नाथ’ परिवार का साथ ,कांग्रेस को लगा बड़ा झटका !
100 से अधिक छिंदवाड़ा के कांग्रेसी नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, अब कांग्रेस को बड़ा झटका छि्दवाड़ा मेयर विक्रम अहांके ने दिया है।
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मध्य प्रदेश में Lok Sabha Election 2024 से पहले कमलनाथ और कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। खासतौर पर छिंदवाड़ा में कमलनाथ के करीबी नेता एक के बाद एक कांग्रेस छोड़ BJP का दामन थाम रहे हैं। पिछले करीब 10 दिनों में 100 से अधिक छिंदवाड़ा के कांग्रेसी नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, अब एक बार फिर कांग्रेस और खास तौर पर कमलनाथ को बड़ा झटका छिन्दवाड़ा मेयर विक्रम अहांके ने दिया है।
सीएम हाउस पहुंचकर आज भाजपा की सदस्यता
विक्रम अहाके ने सीएम हाउस पहुंचकर आज भाजपा की सदस्यता ली। इसके पहले भी कांग्रेस के 7 पार्षदों ने भाजपा की सदस्यता ली थी। छिंदवाड़ा महापौर विक्रम अहाके भाजपा प्रदेश नेताओं के संपर्क में रहे। अभी मुख्यमंत्री निवास पर छिंदवाड़ा के कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल होंगे।
वर्तमान स्थिति में कांग्रेस की स्थिति कमजोर
आपको बता दें कि Chhindwara Lok Sabha seat से इस बार कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले 4 दशक से यह सीट नाथ परिवार का गढ़ बनी हुई है ,भाजपा ने यहां से विवेक साहू को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन वर्तमान स्थिति देखी जाए तो कांग्रेस की स्थिति यहां काफी कमजोर हुई है। पहले इसी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली अमरवाड़ा विधानसभा से विधायक कमलेश शाह भाजपा में शामिल हो गए थे। अब अहाके ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। इसका असर आगामी चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर पड़ना तय माना जा रहा है। क्योंकि आदिवासी समाज पर विक्रम का असर काफी है।
भाजपा ने करीबियों को तोड़ने की चाल चली
जानकारी मिली है की भाजपा ने कमलनाथ के गढ़ में सेंध लगाने के लिए बड़ी रणनीति तैयार की है। पहले पूर्व सीएम कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ को भाजपा में शामिल होने को लेकर अटकलें लगी, लेकिन जब यह विफल हो गई तो भाजपा ने उनके करीबियों को तोड़ने की चाल चली। छिंदवाड़ा में भाजपा के पदाधिकारी हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करने का दावा कर रहे है। वहीं, पिछली बार नकुलनाथ को लोकसभा चुनाव में करीब 37 हजार वोटों से जीत मिली थी। वहीं, कमलनाथ भी विधानसभा का चुनाव 25 हजार वोटों से जीते। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि इस बार पूर्व सीएम को अपना गढ़ बचाना बड़ी चुनौती होगा।
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