बलरामपुर: अस्पताल में नहीं है बेड, स्वास्थ्य व्यवस्था डेड

बलरामपुर में मरीजों को नहीं मिल रहा बेड, अस्पताल परिसर में भी भरा पानी

एक तरफ योगी आदित्यनाथ सरकार में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ जिलो और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को आम जनता की कोई फिक्र ही नहीं है। प्रदेश के बलरामपुर जिले में कुछ ऐसा ही नजारा अक्सर देखने को मिलता है। देश भर के अतिपिछड़े जिलों की श्रेणी में शामिल इस जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी नज़र आती है।

यहां से लगातार न केवल आम आदमियों व गरीब मरीजों को दिक्कत होती है। बल्कि किसी सामान्य मरीज की बीमारी भी नासूर बन कर परिवार वालों को भी तकलीफ देती है। बलरामपुर जिले के पचपेड़वा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बदहाल नजर आता है। यहां पर मरीजों का बेड पर होने के बजाय फर्श पर किया जाता है।

न डॉक्टर न इलाज-

यहां पर मरीजों को न तो समुचित इलाज मिल पा रहा है। ना ही डॉक्टर समय पर बैठते हैं। जो डॉक्टर बैठते भी हैं, वह मरीजों को सरकारी दवाइयां देने के बजाय बाहर से दवाइयां लिखते हैं, जिस कारण से मरीजों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसके साथ ही अस्पताल का परिसर इतना गंदा है कि यहां पर भर्ती रहने वाले मरीज को डेंगू मलेरिया होना लगभग तय है। पूरे अस्पताल परिसर में जलभराव की समस्या है और तमाम तरह की असुविधाएं लगातार मरीजों को होती है।

बाहर की दवाई लिखते है डाॅक्टर-

मरीज बताते हैं कि यहां तैनात डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिखते हैं। कमरों में साफ सफाई ना होने के कारण मरीजों को बाहर ही फर्श पर लेटना पड़ता है। सीएमओ डॉ सुशील कुमार ने इस मामले पर बताया कि अभी हाल ही में पचपेड़वा में अधीक्षक की नई तैनाती की गई है। यहां की व्यवस्था संभालने वाले पुराने अधीक्षक का बहराईच ट्रांसफर हो गया था।

उन्हें कई बार निर्देश दिया चुका है कि वो व्यवस्था में सुधार लाए। गरीब मरीजों व तीमारदारों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो। यदि वो व्यवस्था में सुधार नहीं लाते तो उन्हें हम हटा कर किसी और कोई यहां का चिकित्सा अधीक्षक बनाएंगे।

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