#चिंता : मंकीपॉक्स के बाद तेज़ी से पांव पसार रहा है ‘ टोमेटो फीवर ‘, जानिए लक्षण व कारण !

मरीज के संपर्क में आते समय सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है क्योंकि संपर्क में आने वाला व्यक्ति तेजी से फैलता है

कोरोना और मंकीपॉक्स के खतरे के बीच टोमेटो फीवर यानी हाथ पैर और मुंह की बीमारी का खतरा भी तेजी से बढ़ने लगा है। चिंता की बात यह है कि शहर के डर्मेटोलॉजिस्ट के पास भी इस तरह के मामले आने लगे हैं, ऐसे में इससे बचाव के लिए लोगों को अलर्ट भी किया जा रहा है।

डॉक्टर की सलाह से इलाज शुरू कर देना चाहिए

विशेषज्ञों का कहना है कि यह संक्रमण गंभीर नहीं है। इसलिए लक्षण दिखने पर बिना समय बर्बाद किए डॉक्टर की सलाह से इलाज शुरू कर देना चाहिए। मरीज के संपर्क में आते समय सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है क्योंकि संपर्क में आने वाला व्यक्ति तेजी से फैलता है।

संक्रमण के लिए गंभीर इलाज की जरूरत नहीं

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव और त्वचा विशेषज्ञ डॉ विवेक मल्होत्रा ​​ने बताया कि उनकी ओपीडी में टमाटर बुखार के दो मामले आए हैं. इसमें जन्म से लेकर पांच साल तक के बच्चों के तलवों, हथेलियों और मुंह पर छाले पड़ जाते हैं। ऐसे में उन बच्चों को आठ से 10 दिन तक आइसोलेट करना बेहद जरूरी है। वहीं, इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट के सदस्य डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि इस संक्रमण के लिए गंभीर इलाज की जरूरत नहीं है।

संपर्क में आने पर मास्क और पीपीई किट पहनें

कुछ दवाओं की सही समय पर खुराक देकर संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि लक्षण दिखने पर माता-पिता बिना डॉक्टर की सलाह के इलाज कराने से बचें, नहीं तो स्थिति गंभीर हो सकती है। साथ ही अपनी सुरक्षा के लिए पूरी व्यवस्था रखें। संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने पर मास्क और पीपीई किट पहनें।

ये हैं लक्षण
  • तेज बुखार, थकान महसूस करना।
  • भूख न लगना, हाथों और पैरों के तलवों पर और मुंह के अंदर लाल चकत्ते, लाली, खुजली और जलन होना।
  • गंभीर रूप से प्रभावित हथेली और तलवे, चिड़चिड़ापन, मुंह में लंबे समय तक घाव होना।
इनपर होता है असर

  • ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होता है।
  • यह एक हल्की स्थिति है जो कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है।
  • स्कूल या बैसाखी आदि में होने का अधिक जोखिम।
  • आमतौर पर एक बार बीमारी हो जाने के बाद उससे लड़ने की क्षमता बच्चों के अंदर आ जाती है।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले किसी भी उम्र के लोगों को इसके होने का खतरा होता है।

 

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