पार्टी कार्यकर्ताओं से बोली अनुप्रिया पटेल, कहा छोटी बहन नहीं मानती पिता जी के सिद्धांत !

अनुप्रिया पटेल का बड़ा बयान सामने आया हैं। उन्होंने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि वो दौर भी आया जब डॉक्टर साहब हमारे बीच नही रहे। उस वक्त पार्टी से मेरा रिश्ता....

अनुप्रिया पटेल का बड़ा बयान सामने आया हैं। उन्होंने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि वो दौर भी आया जब डॉक्टर साहब हमारे बीच नही रहे। उस वक्त पार्टी से मेरा रिश्ता सिर्फ इतना था की मेरे पिता सोनेलाल पटेल पार्टी के कर्ताधर्ता थे। उनकी जलती हुई चिता के साथ मैने लाखो कार्यकर्ताओ को देखा था। आपके आंखों में आशु थे। उस वक्त आप लोगो को चिंता थी की अब पार्टी का क्या होगा।

पार्टी ने शोक सभा में मुझे सौंपी पार्टी कमान

जिसके बाद में जो शोक सभा हुई थी तो आपके साथ पार्टी की कोर कमेटी ने मुझे पार्टी की महासचिव बनाकर इसकी बागडोर मुझे सौप दी। उनके कार्यकाल में परिवार का कोई भी सदस्य पार्टी की जिम्मेदार उठाने नही आया था। लाखो करोड़ो पार्टी के कार्यकर्ताओ की अपेक्षाएं मेरे साथ थी । मुझे डर सता रहा था लेकिन मैंने सोचा था कि शेर बाप की बेटी पीछे नही हटेगी। जिस काम को मेरे पिता छोड़कर गए है उसे मैं पूरा करूंगी।

उन्होंने कहा कि मैं अनुभवहीन थी लेकिन आप लोग का साथ और आपका भरोसा मेरे साथ था। ये मन की ताकत थी जिसने इस दल को उंचाई पर लाकर खड़ा कर दिया। मैने 2012 में मैने पहला चुनाव लडा था। लोगो ने विपक्षी लोगो ने सोचा था की एक विधायक से क्या होगा । इसे तोड़ देंगे। लेकिन कोई ताकत अपना दल को नही तोड़ सकती। 2014 में एक बार फिर हमारी पार्टी जिसे लोग कहते थे इसका कुछ नही हो सकता।

संसद में आज हमारी पार्टी के दो सांसद

देश की सांसद में दो सांसदों की उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हुआ। जिसके बाद तमाम विरोध के स्वर अपनो से ही उठना शुरू हो गए। मुझे बहुत काष्ठ है मैं इस पीड़ा के साथ जी रही हु। हमारी पार्टी पर बहुत हमले और प्रहार हो रहे है अपनो के साथ बाहरी भी कर रहे है। पिछले दो तीन विधानसभा और लोकसभा में पार्टी आगे बढ़ी है इससे और आक्रमण बढ़ गए है। लेकिन हमारी पार्टी रुकेगी नही और आगे बढ़ेगी। जिन सिद्धांतो के लिए सोने लाल पटेल समर्पित थे उन सिद्धांतो को मैंने आगे बढ़ाया है।

मेरी बहन पिता के सिद्धांतों को नहीं मानती

मेरी छोटी बहन और पिता की छोटी पुत्री वो भी संपत्ति से बेदखल हो चुकी है। मैने भी इस संपत्ति से अपने को अलग कर लिया है। मेरी बहन भी पिता के सिद्धांतो को नही मानती। पार्टी का स्ट्राइक रेट पिछले कुछ चुनाव में तमाम दलों से बेहतर रहा है। इसमें आप कार्यकर्ताओ का सहयोग रहा है। जिससे किसी के पेट में दर्द और चुभन हो रही है।

लोग बिना किसी परिश्रम के सबकुछ पाना चाहेंगे। ये लोग अपना दल का कंधा दुसरो को दे देंगे। आज राष्टीय पार्टी बन चुकी है अपना दल। हमे होशियार रहने की आवश्यकता है क्योंकि तमाम हटकंडे विरोधियों द्वारा किए जायेंगे।

 

 

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