लोगों के प्रति समर्पित रहने वाले शख्स थे अमिताभ चौधरी, जानिए कैसा था इनका कार्यकाल !

6 जुलाई 1960 को जन्मे स्वर्गीय अमिताभ चौधरी मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के मनीगाछी के बाथो हो गांव के रहने वाले थे।

6 जुलाई 1960 को जन्मे स्वर्गीय अमिताभ चौधरी मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के मनीगाछी के बाथो हो गांव के रहने वाले थे। 1985 में आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर बिहार कैडर में आईपीएस बने थे अलग राज्य गठन के बाद उन्होंने झारखंड कैडर चुना एसएसपी रहते हुए उन्होंने रांची को अपराध मुक्त बनाने में अहम भूमिका निभाए थे।

 

 सुरेंद्र बंगाली व अनिल शर्मा को गिरफ्तार कर बताया अब नहीं होगा क्राइम

बात 1997 की है तब रांची बिहार का हिस्सा था उस वक्त यहां पर अपराध चरम पर था उन दिनों कई तरह के अलग-अलग गिरोह थे जो अपने अपने क्षेत्र पर रंगदारी वसूला करते थे। आईपीएस अमिताभ चौधरी ने रांची में 23 अप्रैल 1997 में एसएसपी के रूप में कार्यभार संभाले थे उस वक्त के कुख्यात अपराधी सुरेंद्र बंगाली व अनिल शर्मा की तूती बोलती थी।

वही अनिल साहू, देवेंद्र गोप, बिट्टू कच्छप, विजय सोनी, उद्दीन गिरोह, एक,राम काना सज्जाद सहित कई अपराधियों का खौफ था।अमिताभ चौधरी ने एक के बाद एक कुख्यात अपराधियों को सलाखों के पीछे डालना शुरू कर दिया था जबकि कई को मार गिराया था। उस वक्त रांची पुलिस के लिए सिरदर्द बने सुरेंद्र बंगाली को अमिताभ चौधरी ने कोलकाता से गिरफ्तार किया था और अनिल शर्मा को नोएडा से धर दबोचा था। सुरेंद्र बंगाली की निशानदेही पर टाटीसिलवे के एक व्यवसाई के घर से ak-47 राइफल बरामद हुई थी। इसके अलावा उद्दीन गिरोह के अपराधी एक राम का उनके कार्यकाल में एनकाउंटर हुआ था। इसी तरह कांटा टोली बस स्टैंड में आतंकी का पर्याय बने काना सज्जाद को भी एनकाउंटर में मार गिराया था। वह अप्रैल 1997 से 7 जनवरी 2000 तक एसएसपी के पद पर रहे।

अमिताभ चौधरी ने रांची में रंगदारी का कल्चर किया था समाप्त

रांची में उन दिनों रंगदारी मांगने से बड़े बड़े व्यवसाई परेशान थे अनिल साहू द्वारा रंगदारी की सूचना मिलते ही सिविल ड्रेस में पहुंच कर वहां मौजूद तमाम लोगों को खदेड़ दिया था साथ ही लगातार उन लोगों पर नजर बनाए हुए थे जिससे रंगदारी का कल्चर ही समाप्त हो गया था।उन दिनों एक अन्य घटना में जगदीश प्रसाद नामक बड़े ठेकेदार के पुत्र का अपहरण हुआ था जिसे उन्होंने 24 घंटे के अंदर बरामद किया। साथ ही रंगदारो से कोर्ट सराय रोड में मुठभेड़ हुई, जिसमें तीन गैंगस्टर को मार गिराया था।

स्वर्गीय अमिताभ चौधरी के बारे यह कहना उचित नहीं होगा कि वे सिर्फ क्राइम पर ही अंकुश लगाने के लिए जाने जाते हैं बल्कि वे परोपकार पूर्ण कार्य भी किए हैं। जग जाहिर है कि क्रिकेट में कई खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला चुके हैं। लेकिन इन से भी हट कर बता दें कि वह अपने खर्च पर आज तक 23 बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। अमिताभ चौधरी बच्चों की शिक्षा का उनके भविष्य पर क्या महत्व है पर विशेष जोर दिया है। बच्चों के बेहतर शिक्षा और उत्थान के लिए पिछले वर्ष हटिया स्थित प्रतिज्ञा संस्थान को दान स्वरूप 40 लाख रुपए दिए थे यह राशि उन्होंने अपने प्रॉपर्टी को बेच कर दिया था। उस राशि से 23 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं यह शिक्षा उनके माता-पिता के नाम पर स्कॉलरशिप योजना के तहत दी जा रही है।

 

 

 

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