मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं का अगुवा रहा है उमर, कई संस्थाओं को करता था फंडिंग

फतेहपुर: फतेहपुर जिले में इस्लाम को बढ़ाने और धर्मांतरण के लिए मो. उमर गौतम ने शैक्षणिक संस्थाओं का सहारा लिया था। खासतौर से मुस्लिम शिक्षण संस्थानों में उसने पकड़ बना रखी थी। कई संस्थाओं को वह फंडिंग भी करता था। लखनऊ के अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन का उमर गौतम उपाध्यक्ष रहा है।

उसके फाउंडेशन के मलीहाबाद के रहमान खेड़ा समेत अन्य जगहों में स्कूल संचालित होते थे। रहमानखेड़ा में 500 बच्चों को मुफ्त शिक्षा का दावा किया जाता है। यह स्कूल 900 वर्गमीटर में फैला है। दूसरी संस्था हरदोई के रसूलपुर में थी, जो छात्राओं का स्कूल भी संचालित करती है।

धर्मांतरण के दबाव पर शिक्षिका ने दर्ज कराया था मुकदमा
शहर के नूरुल हुदा स्कूल की तत्कालीन शिक्षक कल्पना सिंह ने बताया कि 2020 में छात्र-छात्राओं के परीक्षा फल वितरण में उमर गौतम ने खुलकर सनातन धर्म की मुखालफत की थी। शिक्षक ने बताया कि उमर स्वयं को हिंदू से मुस्लिम बनने के कारण सनातन धर्म को आडंबर बताता था।

आसानी से मान जाते हैं लोग
कहता था कि सनातन धर्म (हिंदू धर्म) आडंबर का पुलिंदा है। पूजा पाठ के नाम पर केवल ठगी होती है। उसने समय रहते सनातन धर्म की असलियत जानकर इस्लाम स्वीकार किया है। मुस्लिम बने हिंदू की बातें आसानी से मानकर लोग इस्लाम स्वीकार करने को राजी हो जाते हैं।
उमर गौतम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था
इसके साथ ही गरीब, दिव्यांगों को आर्थिक मदद का भी आश्वासन देने में नहीं चूकता था। शिक्षिका का कहना है कि तकरीर सुनने के बाद उससे भी उमर गौतम ने इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था, लेकिन जब इन्कार किया, तो स्कूल प्रबंध कमेटी ने उसे स्कूल से बर्खास्त कर दिया। 19 मार्च 2012 को कल्पना ने सदर कोतवाली में स्कूल प्रबंधन के साथ उमर गौतम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

तकरीर के वीडियो में बोलता था सबसे पहले दोस्त का धर्मांतरण कराया
खुद श्याम प्रताप सिंह से उमर गौतम बनने के बाद परिवार संग दिल्ली के जामिया नगर बटला हाउस नूह मस्जिद के पास रहने लगा और अपनी धार्मिक संस्था इस्लामिक दावा सेंटर के जरिए जिले के लोगों को जोड़ने व फंडिंग का काम करता था। उमर के सबसे ज्यादा अनुयायी अंदौली में हैं। एसटीएफ के हत्थे चढ़ने से पहले मोहम्मद उमर गौतम की तकरीर के कई वीडियो यूट्यूब पर अपलोड थे।

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