MonkeyPox in Delhi: दिल्ली में मंकी पॉक्स की दस्तक, हेल्थ इमरजेंसी घोषित
देश में कुल 4 मंकी पॉक्स के संक्रमित, WHO में मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी किया घोषित
कोरोना महामारी ने भारत में जो तबाही मचाई है उससे देश अभी भी पूरी तरीके से उबर नहीं पाया है हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे थे कि अब एक नए वायरस ने भारत में दस्तक दे दी जी हां ये वही वायरस है जिसके खिलाफ डब्ल्यूएचओ ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है. WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता करने वाला है. और सभी देशों पर इसपर गौर करना चाहिए।
जी हाँ अब उस वायरस ने भारत में भी दस्तक दे दी है पहला केस 14 जुलाई को केरला में मिला उसके बाद लगातार तीन मामले केरल में ही आये और अब ये वायरस चलकर देश की राजधानी दिल्ली भी पहुंच चुका है. जी हां हम बात कर रहे हैं डेडली वायरस मंकीपॉक्स की जिसने लोगों को सहमा कर रख दिया है मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो लोगों की जान तक ले लेती है.
70 से अधिक देशों में फैल चुकी है मंकीपॉक्स –
मंकीपॉक्स को डब्लूएचओ ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया। यह खतरनाक बीमारी अब तक दुनिया के 70 से अधिक देशों में फैल चुकी है। इसको लेकर डब्लूएचओ महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस के मुताबिक मंकीपॉक्स के अभी तक 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। मंकी पॉक्स वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी क्यों घोषित किया गया ये भी हम आपको बताएंगे लेकिन आइये उससे पहले जान लेते है की आखिर दिल्ली में मिले पहले मरीज के बारे में।
भारत में इससे पहले केरल में मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आने आये थे जिसके बाद बाद केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। इसके साथ ही भारत में एयरपोर्ट पर निगरानी का फरमान जारी कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक यह तीनों ही मामले दूसरे देशों से लौटे यात्रियों के हैं।
वहीं दिल्ली में मिला नया मरीज मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में फ़िलहाल भर्ती है. लेकिन हैरान करने वाली बात तो ये है की 31 वर्षीय व्यक्ति की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. यानी अब तक मिले चार मरीजों में ये पहला ऐसा मामला है, जिसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. इस मरीज को तेज बुखार और स्किन में घावों के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
क्या है मंकी पॉक्स-
पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी. तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था. इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है. इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे.
– विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था. तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण मिला था. 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे.
वहीँ इस संक्रमण से संक्रमित होने के 6 से 13 दिन बाद इसके लक्षण दिखने लगते है वहीँ इसके लक्षणों में बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं. मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकनपॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है.
बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू होता है. शरीर पर दाने निकल आते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूखकर गिर जाते हैं.
क्यों घोषित हुआ ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी-
डब्लूएचओ के महानिदेशक ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के पीछे की वजह बताई उन्होंने कहा ये कदम उठाने के पीछे सबसे बड़ी वजह है, इस बीमारी का उन देशों में पहुंचना, जहां अभी तक यह नहीं थी।
डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस के मुताबिक कई ऐसे देशों से जानकारी सामने आई जो चौंकाने वाली रही। इनमें से कई देशों में ऐसे मामले कभी नहीं देखे गए। डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस के मुताबिक किसी बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के लिए तीन क्राइटेरिया हैं।
इस रोग के बारे में हमारे पास काफी कम जानकारी है इसके असर के बारे में और वायरस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है इस लिए इसे अंतरराष्ट्रीय हेल्थ इमरजेंसी घोषित घोषित किया गया है। वहीँ इस बीमारी का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलने की रफ़्तार बहुत बड़ी वजह बनी है इसको हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की।
गौरतलब है न सिर्फ सरकार को बल्कि देश की आम जनता को इस बीमारी से बचाव के जरूरी सलाहों को अपनाना होगा तभी इस प्रकार की बीमार से हम लड़ पाएंगे।