“जिसने जो तलाशा उसको वही मिला” का ये है साक्षात् प्रमाण…

आस्था का महापर्व शिवरात्रि के दिन से ही समाप्त हो गया है. सभी साधु श्रद्धालु अपने अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच गए हैं.

SP chief tweet CM : आस्था का महापर्व महाकुंभ शिवरात्रि के दिन से ही समाप्त हो गया है. सभी साधु-श्रद्धालु अपने अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच गए हैं. 45 दिने चले आस्था के महापर्व महाकुंभ का समापन 26 फ़रवरी को हो चुका है. समापन के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज पहुँच महाकुंभ की औपचारिक पूर्णाहुति दी. संगम तट पर सीएम योगी स्वच्छता का सन्देश देते हुए झाड़ू लगाई इसके साथ ही उन्होंने घाट पर स्नानार्थियों द्वारा छोड़े गए सामान को भी संगम से बहार निकल कर सफाई की. अब सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा सफाई की फोटो और वीडियो को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने निशाना साधा है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने x पर पोस्ट करते हुए कहा कि “जिसने जो तलाशा उसको वही मिला” का ये है साक्षात् प्रमाण… पहले तो कह रहे थे ‘गंदगी’ है ही नहीं अब ये सब कूड़ा-करकट कहाँ से आया? जनता पूछ रही है कि ‘स्वच्छ जल’ के सेवन का वीडियो आज आयेगा या उसकी शूटिंग बाद में होगी?’ और चलते-चलते आग्रह है कि इस साफ़-सफ़ाई के दौरान अगर कहीं दबा-कुचला सच मिल जाए तो उसे ज़रूर बचा लीजियेगा। सत्य कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!

परंपरा कुंभ से धन कमाने की नहीं बल्कि अर्जित धन को दान करने की रही है:-

उप्र सरकार का दावा है कि महाकुंभ से उप्र की अर्थव्यवस्था में कई लाख करोड़ की कमाई हुई है। इस बात को सच मानते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी से ये निवेदन है कि वो पुरातन परंपरा का निर्वहन करते हुए इस धन का कल्याणकारी सदुपयोग करें क्योंकि परंपरा कुंभ से धन कमाने की नहीं बल्कि अर्जित धन को दान करने की रही है।

इसी पुरातन परंपरा का निर्वहन करते हुए माननीय से आग्रह है कि: – ⁠इस अर्जित धन में से ही मृतकों के परिजनों को क्षतिपूर्ति और घायलों के उत्तम उपचार के लिए धन का प्रबंध किया जाए। इसमें से कुछ पैसा जो हज़ारों लोग लापता हैं, उनको खोजने और घर पहुँचा⁠ने के लिए बचाकर रख लेना चाहिए।

इस अकूत कमाई में से ही उन दुकानदारों के घाटे की पूर्ति की जाए, जिन्होंने उप्र सरकार की बदइंतज़ामी की वजह से मेले में दुकान लगाकर घाटा उठाया है। इसमें से कुछ रक़म समस्त मेलाकर्मियों को होली के बोनस के रूप में देने की घोषणा करनी चाहिए। ⁠माननीय को महादानी सम्राट हर्षवर्धन से प्रेरणा लेते हुए अधिकांश धन प्रयागराज के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दान कर देना चाहिए। लाखों-करोड़ों की इस राशि में से कुछ पैसा ‘सत्य बोलने की प्रेरणा’ देनेवाले और ‘नैतिकता’ सिखानेवाले किसी ‘आत्म सुधार’ के सत्यनिष्ठ संस्थान के निर्माण के लिए देना चाहिए। और इन सबके बाद भी अगर कुछ धन बच जाए तो उन मीडियाकर्मियों और कैमरामैनों को दे दिया जाए जिन्होंने आपके कहने पर कैमरा वहाँ नहीं लगाया जहाँ महाकुंभ के गोरखधंधे के सच का भंडाफोड़ करती हुई सच्ची तस्वीरें थीं।

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