क्या है संगम नोज और क्या है इसकी धार्मिक मान्यता ?

आखिर क्यों सभी श्रद्धालु संगम नोज पर ही स्नान करना चाहते हैं ?

Sangam Nose : प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या की रात संगम नोज पर भारी भीड़ के चलते भगदड़ मच गई. जिसमें 12 से15 लोगों की मौत होने की सूचना मिल रही है और दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। संगम नोज पर हुई इस घटना के बाद सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी श्रद्धालुओं से संगम नोज न जाने की अपील करते हुए कहा है कि श्रद्धालु वहां पहुंचने की कोशिश न करें और जिस घाट पर हैं, वहीं स्नान करें। आखिर ऐसा क्या है संगम नोज पर जिससे सभी श्रद्धालु वहीँ पर स्नान करना चाहते हैं?

क्या है संगम नोज ?

आपको बता दें कि धार्मिक दृष्टि से इस जगह की बहुत अधिक महत्वता है. ऐसा माना जाता है कि संगम नोज पर यमुना और सरस्वती नदी गंगा से मिलती है. सभी बड़े पंडित, विभिन्न अखाड़ों के संतों और आध्यात्मिक गरु भी इसी जगह पर डुबकी लगाकर अमृत स्नान करते हैं. एक सरल भाषा में यह भी कह सकते हैं कि जहाँ पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है उसे ही संगम नोज कहते हैं। कुंभ मेले के दौरान यही स्थान श्रद्धालुओं के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। यहां नदियों का पानी अलग-अलग रंग में भी दिखाई देता है। यमुना नदी का पानी हल्का नीला होता है, जबकि गंगा नदी का पानी हल्का मटमैला दिखता है। यहां यमुना नदी गंगा में मिलकर समाप्त हो जाती है। श्रद्धालुओं के लिए इस क्षेत्र को संगम घाट के रूप में भी चिह्नित किया जाता है।

क्या है संगम नोज का धार्मिक महत्व ?

संगम नोज को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि संगम नोज पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि हर श्रद्धालु संगम नोज पर ही स्नान करना चाहता है। अलग-अलग अखाड़ों के संत कुंभ मेले के दौरान यहां धार्मिक अनुष्ठान और अमृत स्नान करते हैं। यहाँ पर होने वाले अमृत स्नान को राजयोग स्नान भी कहा जाता है।

कैसा है संगम नोज पर भीड़ प्रबंधन ?

संगम नोज पर भीड़ को प्रबंधित करने के लिए इस बार महाकुंभ मेले में विशेष इंतजाम किए गए थे। सिंचाई विभाग ने शास्त्री ब्रिज और संगम नोज के बीच 26 हेक्टेयर जमीन को बढ़ाने का काम किया। इसके साथ ही चार बड़ी ड्रेजिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया है. रेत की बोरियां बिछाकर संगम घाट के क्षेत्र को विस्तारित किया गया है। अधिकारियों की माने तो, इससे संगम नोज पर स्नान क्षेत्र की क्षमता तीन गुना बढ़ गई। साल 2019 में संगम नोज पर एक घंटे में 50 हजार ही श्रद्धालु स्नान कर सकते थे, लेकिन अब हर घंटे दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु संगम नोज पर स्नान कर रहे हैं।

क्या थी भगदड़ की मुख्य वजह ?

ऐसा कहा जा रहा है कि मौनी अमावस्या के दिन संगम नोज पर पहुंची भारी भीड़ इसकी मुख्य वजह रही. जिसके चलते भगदड़ मच गई और कई श्रद्धालुओं को अपनी जान गवानी पड़ी। कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि भीड़ में यह बात फैलाई गई कि नागा साधु स्नान करने आ रहे हैं जिसके बाद भीड़ में भगदड़ मच गई.

पल पल अपडेट ले रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी :-

प्रयागराज चल रहे महाकुंभ मेले में बीती रात एक बड़ा हादसा हुआ है। मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर हुए हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं कुम्भ मेले की कमान संभाली है। वही घटना की जानकारी होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से बात की घटना की सारी जानकारी ली. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं कुम्भ मेले की कमान सभालते हुए एक आईएएस अधिकारी और एक आईपीएस अधिकारी दिल्ली से प्रयागराज के लिए रवाना किया। पीएम नरेंद्र मोदी सुबह से ही अपने अफसरों से पल पल की रिपोर्ट। केन्द्र सरकार की नज़रें पूरी तरह से महाकुंभ में इस घटना पर हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि :- प्रयागराज महाकुंभ में हुआ हादसा अत्यंत दुखद है। इसमें जिन श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इसके साथ ही मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन पीड़ितों की हरसंभव मदद में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में मैंने मुख्यमंत्री योगी जी से बातचीत की है और मैं लगातार राज्य सरकार के संपर्क में हूं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की अपील :-

इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से संगम नोज न जाने की अपील की है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु जिस घाट पर हैं, वहीं स्नान करें और संगम नोज जाने से बचें।

पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी जताया दुःख :-

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर दुःख जताते हुए कहा कि :- महाकुंभ में अव्यवस्थाजन्य हादसे में श्रद्धालुओं के हताहत होने का समाचार बेहद दुखद है। श्रद्धांजलि! हमारी सरकार से अपील है कि: – गंभीर रूप से घायलों को एअर एंबुलेंस की मदद से निकटतम सर्वश्रेष्ठ हॉस्पिटलों तक पहुंचाकर तुरंत चिकित्सा व्यवस्था की जाए।

मृतकों के शवों को चिन्हित करके उनके परिजनों को सौंपने और उन्हें उनके निवास स्थान तक भेजने का प्रबंध किया जाए। – ⁠जो लोग बिछड़ गये हैं, उन्हें मिलाने के लिए त्वरित प्रयास किये जाएं। – हैलीकाप्टर का सदुपयोग करते हुए निगरानी बढ़ाई जाए। – सतयुग से चली आ रही ‘शाही स्नान’ की अखण्ड-अमृत परंपरा को निरंतर रखते हुए, राहत कार्यों के समानांतर सुरक्षित प्रबंधन के बीच ‘मौनी अमावस्या के शाही स्नान’ को संपन्न कराने की व्यवस्था की जाए। श्रद्धालुओं से भी हमारी अपील है कि वो इस कठिन समय में संयम और धैर्य से काम लें और शांतिपूर्वक अपनी तीर्थयात्रा संपन्न करें। सरकार आज की घटना से सबक लेते हुए श्रद्धालुओं के रुकने, ठहरने, भोजन-पानी व अन्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त प्रबंध करे। हादसे में आहत हुए सभी लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना।

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