नि:स्वार्थ भाव से बेजुबान पशुओं की सेवा में जुटे हैं ये लोग

राजधानी लखनऊ में कई ऐसे लोग हैं जो नि:स्वार्थ भाव से बेजुबान पशुओं की सेवा में जुटे हैं। बीमार जानवरों को इलाज मुहैया कराना हो या बेआसरा जीवों को आसरा दिलाने में मदद करना… शहर के पशुप्रेमियों ने इन सबके लिए मुहिम छेड़ रखी है। दिन-रात जानवरों की सेवा करना और अपने बच्चे की तरह उन्हें प्यार देना, इन लोगों ने जीवन का मकसद बना लिया है। पेश है आज विश्व पशु दिवस पर ऐसे ही कुछ पशु प्रेमियों से खास बातचीत: 

सांपों को पकड़कर देते हैं जीवन
शहर के अली हसनैन आब्दी फैजी युवाओं के लिए मिसाल हैं। जंगली जानवरों और  पशुओं की नि:स्वार्थ सेवा को फैजी ने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। इसके अलावा सांपों से उनका खास लगाव है। वह कहते हैं,कई साल पहले सांप ने उनके बड़े भाई को काट लिया था। इसके बावजूद उन्होंने सांप को मारने के बजाए अपना दोस्त बना लिया। किसी के भी घर में सांप निकलने पर सूचना मिलते ही वह पुहंच जाते हैं। सांप को पकड़कर उसे सुरक्षित हाथों में सौंप देते हैं।  सांप को पकड़ते हुए 22 साल हो चुके हैं। अब तक पांच हजार सांपों को वह पकड़ चुके हैं। चिड़ियाघर के सांप घर में उनके दिए दर्जन भर सांप हैं। लखनऊ जू में दिया गया गिद्ध भी उन्होंने ही पकड़ा था।

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गायों की सेवा कर रहे हैं सतेन्द्र तिवारी
निगोहां के सतेन्द्र तिवारी गायों की सेवा के लिए आश्रय गृह चला रहे हैं। सात साल से वह क्षेत्र में बीमार, चलने-फिरने में लाचार गायों की सेवा कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने लाखों रुपए खर्च कर निगोहां में नन्दनी गौशाला बनाई है। मौजूदा समय में यहां 250 से ज्यादा पशु हैं। अपनी आमदनी का 25 फीसदी वह गौशाला में खर्च करते हैं। जिससे अब आश्रम के पास 12 बीघा से अधिक जमीन हो गई है। दो बड़े-बड़े खुले हाते भी बनाए गए हैं। गर्मी से बचाने के लिए यहां दर्जनों पंखे लगाए हैं। आश्रम में ही पशुओं के लिए हरा चारा उगाया जाता है। 

अमेरिका की नौकरी छोड़ पशु सेवा में जुटे

महानगर में छन्नी लाल चौराहा निवासी राहुल गुप्ता नौकरी छोड़कर अमेरिका से शहर आ गए। यहां आकर जब उन्होंने आवारा जानवरों का हाल देखा तो पशुओं की सेवा को ही अपना कर्म बना लिया। वह बताते हैं, जो कुत्ते घायल हो जाते हैं वह उनका इलाज कराते हैं और अपने घर में ही आश्रय देते हैं। अभी10 आवारा कुत्तों को उनके घर में शरण मिली हुई है। घायल गायों और अन्य जानवरों की भी मदद कर रहे हैं। 

घायल जानवरों के मददगार यतीन्द्र

जीव आश्रय संस्था के यतीन्द्र बताते हैं कि उनकी संस्था दुर्घटनाग्रस्त जानवरों का नि:शुल्क इलाज करती है। संस्था के सदस्यों को जैसे ही दुर्घटना की जानकारी मिलती है वे जाकर पशुओं की मदद करते हैं। आवारा कुत्तों की नसबंदी (स्टलाइजेशन) करने का काम भी संस्था कर रही है।  2013 से 9500 से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी और 17 हजार जानवरों का इलाज संस्था द्वारा किया जा चुका है। 

वन्यजीवों के भोजन का जिम्मा उठाया

डालीबाग स्थित ऑफिसर कॉलोनी में रहने वाले यासीन अहमद पिछले 10 सालों से पशु-पक्षियों की सेवा कर रहे हैं। आवारा जानवरों के हित में कार्य करने के बाद यासीन ने वन्यजीवों के भोजन का जिम्मा उठाने का मन बनाया। साल भर होने वाली कमाई का एक हिस्सा वह वन्यजीवों के खाने के लिए रखते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने एक हिरण व दो कबूतरों को सालभर के लिए गोद भी लिया है।

अत्याचार के खिलाफ बुलंद की आवाज

पशुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कामना पाण्डेय अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं। उनका बचपन भी पशुओं की सेवा में बीता है। कामना एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की सदस्य रह चुकी हैं। उन्होंने जानवरों के अधिकार और कानून की जानकारी हासिल करने के बाद उनपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ मुहिम शुरू की। 25 साल से वह आवारा पशुओं और पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रही हैं।  

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